मुझे गुम हाे जाने दाे   आशाआें के जंगल में ।    वाे जंगल   जहाॅं सूरज की किरणें   पत्तियाें से छनकर    आती हैं ..   जाे दिखाता हैं रास्ता  मेरे चलते हुए कदमाें काे  मैं आतुर हाे जाती हूॅ  बहुत सारी इक्छाआें काे  मन में संजाेए […]

मंदसौर पर व्यथा………… नही चाहिए कोमल काया बेटी को वज्र बनाना होगा हाथ खड्ग ले बैठ सिंह पर अब उसको आना होगा पूजा जाता है जहां कन्या को त्यौहारों पर वहीं करते पुरुष निरादर नन्ही नन्ही जानो पर माता के पूजन का विधान पुरुष को करना था पैर पखार आई […]

कहूँ क्या बात मैं चलन की कुरीतियों से   हुयी जकड़ी भारत के अनेक रहन  की कई   दुखद विचारों   की मानसिकता है अगन  सी साक्षरता कहीं किताबी सी भेद करते लोग बेहिसाबी सी लिंग तय करता पुरुष  भ्रूण कोसते स्त्री कोख खराबी की क्या करूं मैं बात चलन की दहेज़ भी […]

                जिसने गर्भस्थ होते ही अपार सहन की थी वेदनाएं- निशि-दिन-उबकियां,अपच कभी चक्कर तो कभी और कुछ। खाना-पीना दुश्कर रहा, कई मास तक तब जाकर असीमित प्रसव-वेदना को सहन कर मुंह देखा था- स्नेह के उपहार का, लालन-पालन के दिवस बीते,फूल की सुगंध […]

मुंबई | `बिक्री बढ़ाने के लिए बिस्लेरी ने भारतीय भाषाओं को अपनाया। पता नहीं,दूसरी कंपनियों को यह समझ में आया कि नहीं आया`ll बिस्लेरी कंपनी की इस समझ और ग्राहक के सम्मान के लिए उन्हें धन्यवाद तो दिया जाना चाहिएl उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत करवाएँ। विपणन(मार्केटिंग) के लिए भारतीय […]

माँ मजदूरी करती थी,जो कुछ भी मजदूरी के रूपए मिलते,उनसे वह अपने पुत्र और अपने लिए खाने-पीने की सामग्री खरीदकर काम चलाती थी। उत्सव और समारोह जब भी किसी घर में मनाए जाते,रामूड़ी चमन मसोसकर रह जाती। कभी अपने बालक की ओर देखती,तो कभी अपने भाग्य को कोसती। दीपोत्सव के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।