दस्तक  मेरे दरवाजे पर, चहकने की तुम देती गौरैया चाय,बिस्किट लेता मैं तुम्हारे लिए रखता दाना-पानी यही है मेरी पूजा, मन को मिलता सुकूनl लोग सुकून के लिए क्या कुछ नहीं करते, ढूंढते स्थान गोरैया का घोंसला मकान के अंदर क्योंकि, वो संग रहती इंसानों के साथ हम खाएं और […]

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विदा होते ही आँखों की कोर में आँसू आ ठहरते, और आना-जल्द आना कहते ही ढुलक जाते आँसू, इसी को तो रिश्ता कहते जो आँखों और आंसुओं  के बीच मन का होता है, मन तो कहता और रहोl मगर रिश्ता ले जाता, अपने नए रिश्ते की ओर जैसे चाँद का […]

एक अख़बार में निविदा विज्ञापन, दहेज़ के दानव के विनाश हेतु चाहिए एक बाण.. ऐसी निविदा पढ़ने के बाद दिल को हुआ आराम। वर्तमान परिदृश्य में, बहुएं जली-जलाई जा रही.. ऐसे हादसों के कारण गांवों  के कुएं की चरखियां,घट्टियों की आवाजें, ख़त्म होती जा रही। बाजारों में फ्रेमों के,कब्र के […]

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फूलों से लदे हरे-भरे नीम की महक दे जाती है मन को सुकून भले ही नीम कड़वा हो |   पेड़ पर आई जवानी चिलचिलाती धूप से कभी ढलती नहीं बल्कि खिल जाती है लगता, जेसे नीम ने बांध रखा हो सेहरा |   पक्षी कलरव करते पेड़ पर ठंडी […]

दिखावे की होड़ भी, लगती मृगतृष्णा-सी .. जब पैसों के पीछे, भागता है इंसान| समय और पैसा, जैसे रिश्तों से ज्यादा.. अहमियत रखता हो, तभी दौड़ -भाग के खेल में हो जाते हैं रिश्ते कमजोर| और तो और, दिखावे की होड़ में.. उड़ने पर जल जाते, उम्र के पँख | शायद, […]

स्त्री हिचकियाँ की सखी, साथ फेरों का संकल्प, दुःख-सुख की साथी, एकाकीपन खटकता | परछाई नापता सूरज, पहचान वाली आवाजों में, खोजता मुझे दी जाने वाली, तुम्हारी जानी-पहचानी पुकार | आँगन -मोहल्ले में सूनापन, विलाप के स्वर, तस्वीरों में कैद छवि, सदा बहते अश्रु, तेज हो जाते, तुम्हारी पुण्य तिथियों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।