खोज और शोध के बीच झुलती विचारक्रांति आज इस बात पर जा अटकी है कि क्या जो वर्तमान में लिखा जा रहा है वह धैर्यशील या कहें समाज के सभी वर्गों पर समान अनुपात में दृष्टि डालने वाला, सभी में वैचारिक खुराक का बीज बोने वाला समदर्शी साहित्य है? सवालों […]

गणतंत्रीय गरिमा के प्रभुत्व से आलौकिक, जन के तंत्र के साथ मजबूती से सामंजस्य बनाता भारत का संविधान और एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में स्थापित शक्तिशाली राष्ट्र भारत सन् 1950 में जब भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू हुआ तब से ही संघर्ष की […]

न जाने कितने सपने बुनते कहीं मंदिर की नींव में जाते कही पत्थरबाजों का अस्त्र हो कहीं भगवान भी बन ये जाते बनाने वाले की कलाकारी बनते कहीं नमक की आत्मा हो जाते किताबों के पन्नों को सहेजते कागजों को बिखरने से बचाते कहीं राह का रोड़ा बनते कही नदी […]

हजारों-हजार सालों का हिन्दी का समृद्धशाली इतिहास और गौरवशाली वर्तमान जिस पर सम्पूर्ण विश्व अपना समाधान खोजता है। बात यदि गीता और रामायण जैसे धर्मग्रंथों की हो या आदिवासी या दलित विमर्श की हो, इतिहास के मोहनजोदड़ों संस्कृति की हो चाहे सभ्यता के युगपरिवर्तन की। विश्व जितना भारत को जान […]

 *तुमने तो दीवार उठा दी आंगन में, इसमें खिड़की-दरवाजा दोनों लाओं- अंसारी* इंदौर | साहित्यिक संस्था ‘क्षितिज’ एवं ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में एक रचना पाठ संगोष्ठी का आयोजन डी क्यू कैफे पर किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि चरण सिंह अमी के द्वारा की गई। इस […]

वो दौर भी जाता दिख रहा है जब अदद पाठक अपनी मानसिक खुराक की खोज में पुस्तकें टटोलता था, पुस्तकालय के खाक छानता था, दोस्तों से किताबें भी उधार मांगता था, कहीं सड़क किनारे लगी किताबों की दुकान पर ठहर कर वो अपने कद को खोजता था, पहचानता था वो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।