दोस्तों,आज के इस कलयुगी और मायाचारी संसार में हम और आप अपनी संस्कृति को बिलकुल से ही खो चुके हैं।पश्चिमी सभ्यता को अपने जीवन के साथ अपने घरों में भी सजाने और व्यवहार में अपनाने लगे हैं। इस चक्कर में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पुरानी व रूढ़िवादी बताते हुए […]

डरी -डरी सी दहशत से भरी जिन्दगी पग -पग पर  भय से भरी जिन्दगी मुड -मुड सी पलट से  भरी जिन्दगी सूनी राहों पर दबोची जा रही जिन्दगी हैवानियत  से सनी जा रही जिन्दगी हर चौराहों पर अब चीख रही जिन्दगी चीखों को रोकों  जरा हैरान है जिन्दगी दुष्कर्मियों पर कसों फंदा रो […]

 पापा मैने आपके लिए हलवा बनाया है 11 साल की बेटी बोली  अपने पिता से बोली जो की अभी ऑफिस से घर में पहुंचे ही थे  पिता – वाह क्या बात है,लाकर खिलाओ फिर पापा को !!  बेटी दौड़ती हुई फिर रसोई में गई और बड़ा कटोरा भरकर हलवा लेकर […]

प्यार का रंग अब चढ़ाने लगा है । दिल अब मेरा भी मचलने लगा है। न जाने अब कब, मुलाकात होगी। और हमारे प्यार की शुरुबात होगी  ।। दिल मेरा अब मचलने लगा है। प्यार के लिए  ,तड़फ ने लगा है / दिल पर ज़ख़्म, इतने गहरे है / की […]

कैसे भूलू में, बचपन अपना । दिल दरिया और ,समुंदर जैसा। याद जब भी आये वो पुरानी / दिल खिल जाता है बस मेरा / और अतीत में खो जाता हूँ  / कैसे भूलू में, बचपन अपना// क्या कहूं उस, स्वर्ण काल को। जहां सब अपने, बनकर रहते थे। दुख […]

मेरे घर आई एक, नन्ही सी परी / साथ ही खुशियां भी लाई, वो घर में अनेक / मेरे घर आई एक, नन्ही सी परी  // दादा दादी की, वो लाडली है / नाना नानी की भी, वो दुलारी है / मम्मी पापा की, तो वो जान है / हल्का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।