मेरा चांद बहुत शर्मीला है ,   चांद रातों को भी दीदार नहीं होते । जो आ जाता तू एक बार आसमां में,     हर शब हम यूं बीमार नहीं होते ।।  तेरे इश्क की चांदनी में डूबे हैं,   अंधियारी रात के शिकार नहीं होते।  लुका छिपी तेरी […]

 बरस बीते आज़ाद हुए पर,      ख़्याल अभी तक ग़ुलाम बने हैं ।  आज़ाद मुल्क के बाशिंदे हम,        क्यों राम, रहीम, सतनाम बने हैं ।।  ज़ात-पात में बांटा ख़ुद को,        क्यों धर्म के ठेकेदार बने हैं ।  मुल्क़ को समझें अपना घर,   […]

आज़ादी के सही मायने,   हम तो भूल चुके हैं । अपनी सरहद,अपना मुल्क़,    क्यों हम भूल चुके हैं ।।  खींच कर लकीरें ज़मीनी,    दिल जुदा कर चुके हैं ।  अपने वतन की मिट्टी को,     क्यों खौफज़दा कर चुके हैं ।।   मेरा मुल्क़ है मेरी […]

येदायरे , ये फासले अब,    क्या बांटेंगे मोहब्बत को । वादा किया है तुमसे अब,      निभायेंगे हम चाहत को ।। तसव्वुर से तेरे अब,     इस दिल को करार आता है । तुमको न देखूं तो दिलबर,      वक़्त भी ठहर जाता है ।। जुदा […]

  ग़दर मचा रखा है , दिल में    सांसों में तूफान सा है ।  तेरा इश्क वज़ूद है मेरा,     एक इम्तिहान सा है ।।  आरज़ू , हसरतें तुम्हीं से है,     फिर भी दिल हैरान सा है ।  आहटें महसूस होती है हर पल     […]

मेरी मोहब्बत में कोई राज़ नहीं    ये तो पाक़ीज़ा अहसास है । मेरे लब हैं अभी तक ख़ुश्क,     बुझती नहीं वो प्यास है ।। तेरे पाक़ दामन से बंधकर,    रिश्ता जोड़ना चाहता हूं । रूख़ मोहब्बत का तेरी, अब      मैं इधर मोड़ना चाहता हूं।। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।