आज पहला दिन है गर्मियों की छुट्टियों का,एक अजब-सी बेफिक्री भी है,और गजब की फिक्र भी। बेफिक्री इस बात की कि,घड़ी का अलार्म बजने से पहले ही आंख खोलकिचन में घुसकर बच्चों के लिए दूध बनाकर देना,स्कूल का टिफिन बनाकर रखना। उफ्फफफ्,ये टिफिन में क्या  बनाकर देना है! यदि […]

जीवन की सांझ हो चली है,वह भी जानती है वह अब जाने को है। समेट रही है अपनी ज़िम्मेदारियां आहिस्ता-आहिस्ता..और बांट रही है जो है बचा-कुचा। रोज़ गूँथती है घर-संसार अपने बेटे का,पता नहीं, कौन-सी शाम जीवन का सूरज ढल जाए..। कभी अलमारियों के कपड़े सहेजती है,कभी रसोई की सफाई […]

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‘ज़मीन नहीं बन सकी तो आसमान बन गई यथार्थ से परे बस कल्पनाओं का जहान बन गई….।।’ ऐसा होता तो होगा सबके जीवन में, नहीं तो यह ख़्याल यकायक उफ़ान नही उठाता ज़हन में। इस जीवन रुपी प्रयोगशाला में हम सभी की एक अपनी-अपनी ताख़ है,अलग-अलग आकार के कांच के […]

मनुष्य की निजता (प्राइवेसी)उसकी सबसे बड़ी पूँजी है,सदैव एक सीमा रेखा खींकर रखिए। इस सीमा को लांघने से पहले हर कोई,चाहे वह आपके प्रियजन ही क्यों न हों, एकबार पूछने को विवश हों कि-क्या मैं इस सीमा के अन्दर प्रवेश कर सकता हूँ? और आप सामाजिक,परिवारिक पर्यावरण में भले ही […]

‘भाषा’,,,एक माध्यम जिससे हम अपने भावों और विचारों को बोलकर,लिखकर या सुनकर अपनी बात किसी को समझा या बता सकते हैं। यह ‘भाषा’ की सबसे सरलतम परिभाषा है,जिसे किसी भी भाषा विशेष के ‘व्याकरण’ के प्रथम अध्याय में व्याख्यापित किया जाता है। ‘भाषा’ शब्द का अंकुर जब पुस्तकीय गर्भ से […]

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उलझी बातों से जीवन सुलझाती… या सुलझी बातों में जीवन उलझाती… मैं सारी या आधी, मैं मझधार या किनारा.. मैं धार की पतवार, मैं मोह या माया..। मैं विरक्ति या आसक्ति, मैं वृष्टि या छाया.. मैं सत्य या भ्रम, मैं दिगभ्रमित मदमस्त हवा..। या सुरभित मधुमासी बयार, मै श्रद्धा या […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।