रेशम की डोर में बांध रही  उमीदों का संसार इस धागे में छिपा है भाई बहन का प्यार पर करती हूँ सहमा  सा महसूस खुद को  समाज में   पर इंद्राणी की रक्षा करने वाला , कौन होगा  विष्णु इस बार मै भी रहना चाहती हूँ  सम्मान से पर डरती भी हूँ अपने अपमान से घूरती […]

काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा अंधकार है अब  चारो ओर कौन रोशनी लाएगा मर्यादा सब भूल गए अनुशासन कौन सिखलाएगा काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा……. सियासत का था वो चमकता सितारा सराबोर इस दुनिया को जो कर गया सुनी पड़ी हैं सब शहर की गलियां […]

धरती मेरे देश की धरती मेरे देश की क्या कमाल करती है वीरों को दे जन्म खुद पर  ये अभिमान रखती है बेशक खींच दी धरम की लकीरे इस पर फिर भी राम रहीम में  ये अपनी  जान रखती है आरक्षण की बेढियों में जकड़ी है इसकी काया गीता  कुरान में  फिर भी   ये अपनी पहचान  रखती […]

सोचता हूँ आज मौत से दोस्ती कर लूँ जिस्म को रख गिरवी  रूह का व्यपार कर लूँ बहुत टूटे हैं मेरे सपने  इस बाजार में उस  संसार में सबको साकार कर लूँ धोखे के जखमों का दर्द अब सहा नहीं  जाता अनदेखे लोक के मरहम को लगा के देख लूँ नहीं दिखता शीशे  में अक्स […]

बहुत जखम  सह लिए मगर निशान अब भी बाक़ी है, लाख दिए हैं इम्तहान  पर अंजाम अब भी बाक़ी है. गिराते रहे तुम सितम की बिजलियाँ  हर  मोड़ पर, मगर इस सफ़र की मंजिल अब भी बाकी हैं. रूहों को मिलाने की करते रहे  नाकाम कोशिश, फरेबी चेहरो पर झूठ के नकाब अब भी बाक़ी […]

देख रही हूँ आखों में सपने इन को  हकीकत का नाम दे दो जमीन तो तुम  दे नहीं सकते  बस मेरे हिस्से का  आसमान दे दो हर युग में छली  गई  फिर भी सहती गई हूँ बहुत  हो गई अग्नि परीक्षा, अब तो इनका परिणाम दे दो बस मेरे हिस्से का  आसमान दे दो गृहस्थी  की गाडी  खीँच रही  कंधे   से कन्धा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।