काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा
अंधकार है अब चारो ओर कौन रोशनी लाएगा
मर्यादा सब भूल गए अनुशासन कौन सिखलाएगा
काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा…….
सियासत का था वो चमकता सितारा
सराबोर इस दुनिया को जो कर गया
सुनी पड़ी हैं सब शहर की गलियां
राजनीति का पाठ अब कौन पढाएगा
काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा……
देश के लिए जीना, देश के लिए मरना
यंही रखा जिसने इस धेयय पर चलना
फूंकती थी नव प्राण जिनकी रचनाए
अपने संवादों से अब देश प्रेम कौन सिखाएगा
काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा….
वेसक हैं लाख देश भक्त यंहा
करने देश सेवा तत्पर खड़े हो यंहा
हर दिल् में रहने वाले अटल जी को
“हर्ष” ये देश कभी भूल न पायेगा
हाय काल के कपाल पर अब कौन लिख पायेगा……
#प्रमोद कुमार हर्ष