हम सभी में, कोई न कोई, जानता है, देश की हर भाषा। लेकिन घोर विडम्बना है, कि, हम, आज तक, नहीं जान पाए, अपनी, देह में अवस्थित, उस आत्मा की, ज्ञान-रूपी,भाषा॥                                       […]

हमारे मन में, जब तक वो ईश्वर,अल्लाह खुदा, राम रहेंगे। तब तक, ऐसे कई पाखण्डी रावण, अपने आप ही, इस धरा से, मिटते रहेंगे। अपने कृत्यों से, स्वयं सत्य की अग्नि में, जलते रहेंगे। सावधान रहना होगा, आज के रावण से, जन-जन के राम को। यह त्रेता नहीं, कलियुग है, […]

रंग बहारों के चलो लाएं हम, पुरानी दुनिया फिर से बसाएं छोड़कर सारे फेसबुक दोस्त, आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l   सच्चे मन के भाव को, दिल को दिल से बाँधकर व्हाट्सअप को त्याग कर, आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l   झूठे शब्दों का बहिष्कार कर, […]

हमें तो बस वंश वृद्धि के लिए, एक बेटा चाहिए। विवाह के अवसर पर, अच्छे-खासे दहेज के लिए, बिटिया नहीं, हमें तो बस बेटा चाहिए। उसकी शादी में, बहू के माता-पिता से, नकद रकम, और घर-बंगला,कार चाहिए. हमें तो बस बेटा चाहिए। हे मनुज, जरा विचार कर, बहू आने पर,जो […]

प्रकृति की, अद्भुत देन है, गीत-संगीत, चित्र-मीत (मित्र), सब कुछ, हम पर ‘अर्पण’। मित्रता है, अन्त:श प्रेम का, एक पवित्र ‘दर्पण’। मित्रता का, बन्धन है, एक-दूसरे का, अटूट विश्वास, एक-दूसरे का, असीम ‘समर्पण’॥                                   […]

मैं अपनी क्या औकात बताऊँ, जेब को कर दी ढीली मैं क्या अपनी पहचान बताऊँ, छौंका लगाकर जला दिया मेरे गोल-मटोल अंगों को, एक ही झटके में रुला दियाl मैं क्या अपनी पहचान बताऊँ, लाल चुनर पहन कर बैठी ठाठ जमाकर बाजार में, है हिम्मत तो छूकर देखो कर दूंगी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।