अपनी दुनिया में

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mahesh gupta
रंग बहारों के चलो लाएं हम,
पुरानी दुनिया फिर से बसाएं
छोड़कर सारे फेसबुक दोस्त,
आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l
 
सच्चे मन के भाव को,
दिल को दिल से बाँधकर
व्हाट्सअप को त्याग कर,
आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l
 
झूठे शब्दों का बहिष्कार कर,
बनावटी संसार को छोड़कर
ट्वीटर का गला घोंटकर,
आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l
 
मन को अपने शान्त कर,
घर में खुशियाँ बाँटकर
आईएमओ,यू ट्यूब को लात मारकर,
आओ लौट चलें अपनी दुनिया मेंl
 
गम को अपने ब्लॉक कर,
मोबाइल की दुनिया छोड़कर
परिवार पर समय न्योछावर करें,
आओ लौट चलें अपनी दुनिया मेंl
 
बचपन को अपने याद कर,
दोस्तों को गले लगाकर
सोशल साईट का परित्याग कर,
आओ लौट चलें अपनी दुनिया में l  
                                                       #महेश गुप्ता’जौनपुरी'
परिचय : महेश गुप्ता का साहित्यिक नाम `जौनपुरी` है l आप राज उत्तरप्रदेश के गनापुर (अजोशी,जौनपुर) में रहते हैंl शिक्षा बी.एस-सी. और राष्ट्रीयता भारतीय हैl आप हिन्दी भाषा को जानने के साथ ही मुख्य पेशे अध्ययन से जुड़े हैंl लेखन में आपकी मुख्य विधा-काव्य,कहानी,लघुकथा हैl आपकी रचनाओं की प्रकाशित पुस्तकोण में `नव काव्यान्जलि` है,जबकि पत्र-पत्रिकाओं में लेख छपते रहे हैंl आपके शौक एवं सपने यही हैं कि,अंतर्राष्टीय लेखन और समाजसेवा करेंl लेखन में पहला कदम २०१० में रखने वाले महेश गुप्ता चित्रकारी भी करते हैंl 

matruadmin

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मेरे दिल की एक आरजू...

Sat Aug 26 , 2017
मेरे दिल की एक आरजू, तेरे दिल में बस जाऊं मैं। तेरे दिल में बस जाऊं मैं…l भेष बदलकर आता रहूँ मैं, हर उत्सव में शामिल होने। देकर अपनी सारी खुशियाँ तेरा घर महकाऊं मैं…ll पतझड़ का मौसम आए तो, छाया बनकर छा जाऊं मैं। सूनापन गर लगे तुझे तो, ग़ज़लें बनकर आँधी जाऊं मैं। मेरे दिल की एक आरजू…ll   तेरे दिल की हर दीवार पर, तस्वीरें खूब सजाऊं मैं। आँगन में तेरे आकर, रंगोली नेक बनाऊं मैं ll बाहुपाश में तुझे झुलाकर, तेरा दिल बहलाऊं मैं। प्रीत करूँ तुझसे ऐसी, प्रियतम तेरा कहलाऊं मैं ll मेरे दिल की एक आरजू…l रंग-बिरंगी कलियाँ सीकर, प्रीत सेज की सजाऊं मैं। कंचन कामुकमय मूरत को, निज नयनों में बसाऊं मैं ll मादकता लहराते आँचल की, निज साँसों में बसाऊं मैं। तुझे नजर लगे न इस दुनिया की, `मनु` काजल बनकर सज जाऊं मैं l मेरे दिल की एक आरजू…ll झीने-झीने पट में जब तू, हौले-हौले मुस्काती है। अंग-प्रत्यंग तेरा कम्पन करता, आलिंगन में जब आती है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।