वंश-वृद्धि

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mahesh shandilya
हमें तो बस
वंश वृद्धि के लिए,
एक बेटा चाहिए।
विवाह के अवसर पर,
अच्छे-खासे
दहेज के लिए,
बिटिया नहीं,
हमें तो बस बेटा चाहिए।
उसकी शादी में,
बहू के माता-पिता से,
नकद रकम,
और
घर-बंगला,कार चाहिए.
हमें तो बस बेटा चाहिए।
हे मनुज,
जरा विचार कर,
बहू आने पर,जो बेटा,
माता-पिता को
भेज देता वृद्धाश्रम,
उसके लिए,
सारी सुख-सुविधाएँ चाहिए
हमें तो बस बेटा चाहिए।
और
वो किसी की है बिटिया,
तो किसी की बहिन है,
तो है, किसी की स्त्री.
वही है, हम सबकी माँ
यह भी तो जान लीजिए,
बस हमें तो बेटा चाहिए।
एक माँ, एक जननी को,
भविष्य में किसी की,
माँ बनने वाली,
बिटिया ही नहीं चाहिए,
हमें तो बस एक बेटा चाहिए।
एक
बिटिया के लिए,
उसके माता-पिता,
सास-ससुर, पति ही है,
उसका सबसे बड़ा धन
बस उसे और कुछ नहीं चाहिए.
फिर भी हमें एक बेटा चाहिए.
हे
श्रेष्ठ जन, हे नर,
हे मनुज, हे परम,
जरा विचार कर,
जो है, जगत-जननी,
वो हमें नहीं चाहिए।
हमें तो बस,
वंश-वृद्धि के लिए,
एक बेटा चाहिए।
सृष्टि के
सृजन का नाम है,
हमारा समाज,
हमारी संस्कृति,
इसीलिए हमें,
बिटिया और बेटा,
माता-पिता दोनों ही चाहिए॥

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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