ये फलक ये सितारे, पूछेंगे नहीं कौन है तू। ये जमीन यह नजारे, पूछेंगे नहीं कौन है तू। जो जाना हो अपनी मंजिल तक, अकेला ही चल  देना… जब तक नहीं मिलेगी एक भी सही राह, कोई भी पहचानेगा नहीं कौन है तू। हमसफर का इंतजार न करना, ये सफर […]

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आज देखा उसकी आंँखों में एक अलग-सी चमक थी, यूं तो खामोश थी वह, पर सब कुछ कह रही थी। उतरा-सा चेहरा, फिर भी चेहरे पर मुस्कान, यही तो थी उसकी गरीबी की पहचान। बोली वह मुझसे आकर, कुछ खाने को चाहिए, सोच में पड़ गई आज मैं, सुना था […]

ये प्यार किसे चाहिए?? वो भी इतना बेशुमार किसे चाहिए.. यहां तो पूरी तरह प्यार से तरबतर हैं साहब॥ इस कदर का ऐतबार किसे चाहिए?? किस लायक हैं हम ये तो वह भी जानते हैं, उनके जाने बिना किसी और की चाहतों का खुमार, किसे चाहिए?? हमारी मोहब्बत से वाकिफ […]

जिंदगी मेरी बेचैन-सी रहती है, न जाने क्या करने से डरती है। जिस तरह ख्वाबों के साहिल के किनारे नहीं आते, उस तरह यह भी भटकती फिरती है। मोहताज नहीं होती तस्वीरें एक रंग की, पर उस एक रंग के बिना तस्वीर पूरी भी नहीं होती। बिखरे से मिलते हैं […]

श्वांस सब रवाँ-रवाँ, मौसमों की डोलियों में खुशबुएं रमा-रमा, कहार-सा श्रावण चला। घुमड़ रहीं हैं बदलियाँ, अठखेलियाँ जवाँ-जवाँ शबाब पर हैं बिजलियाँ, कड़क रहीं यहाँ-वहाँ। ये श्वेत अश्व मेघ के, घटा के रथ को खींचते छलका रहे हैं व्योम से, अमृत कलश जहाँ-तहाँ। उठता रहा समुद्र से, टकरा रहा पहाड़ […]

किन शब्दों में बयान करूँ मैं माँ को ? मेरे अस्तित्व का आधार,या मेरी श्वांसों में रची-बसी प्राणसुधा। मेरे व्यक्तित्व को रोशन करती लौ, या मेरे वजूद का बुनियादी ढाँचा। मेरी रुह में सम्मिलित रुहानियत,या मेरे संस्कारों की खुशबू….माँ को शब्दों में समेट पाना ,ईश्वर को परिभाषित करने जैसा है। […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।