मैं रोकता भी कैसे उसे,जो मेरा हो के भी मेरा नहीं था, मैंने तो रुह की गहराई में जाकर चाहा था उसे… वो हृदयहीन था,समझता क्या जज्बात मेरे। रिश्ते निभाने की फितरत भी खूब थी उसमें, मुझसे ही रिश्ता निभाने की ताब न ला सका। शाख पे लहलहाते फूलों की […]

सदियों से चंद बूंदें आँसूओं की, पलकों पर आकर थमी हैं… जाने-अनजाने किस्से कितने, पैबस्त हैं उनमें। सुलगती रातों में, विरह के मारों की… झुलसती रुहों के घुटे-घुटे से नगमे, कितने जज्ब हैं। पूस की सिहरन, जेठ दुपहरी बनती… बसंत फागुन बनते, सावन भादो सूखे। जिस्म पथ बन उजड़ गए, […]

आज फिर बहते अश्कों को, चुपके से दामन थमा गया। तड़पती रुह को नरम हाथों, से थपकी दे सुला गया॥ ख्वाब को ख्वाब दिखा फिर, रात की चाँदनी से सजा गया। थकी पलकों पर लबों की, छुअन दे हौले से झपका गया॥ मन की गली में धीरे-धीरे, गीत सजा गया। […]

आज फिर वो फूट-फूट के रोया, सब्र का बांध था, टूट ही गया। कब तक संभालता वक्त के थपेड़ों से, बार बार ठोकरें लगी टूटा बिखर गया। बहुत मजबूत वजूद था उसका, गैरों में कहाँ दम,ठोकर तो अपनों की थी। जब भी मिलता था गमों से राह में, मुस्करा के […]

रात की खमोशी में चाँद मुझे चाँदनी में नहलाता रहा, मैं बस चकोरी-सी इक टक चाँद को निहारती रही। नयनन की भाषा निशब्द फिजाओं में तैरती रही, प्रेम का दरिया हम दोनों के दरमियां बहता रहा। नयनों की भाषा लख चाँद ने कोमल रश्मि पाश में मुझे बाँध मेरे अंतरतम […]

यादों का इक दरिया, तेरे दिल की हर गली से हो  के  लौट आया  है। हर वो याद जिसमें, मेरी तन्हाईयों के तोहफे थे समेट  लाया था। तेरी दुनिया की सारी, वीरानियों  को आबाद कर खुद को तन्हा कर आया। यादों का इक दरिया, बहाकर सारे सितम खुशियों के चराग […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।