पुस्तक समीक्षा………………… ये वक्त हिन्दी ग़ज़ल के लिए इस अर्थ में बेहतर है कि आज हिन्दी ग़ज़ल आलोचना के केन्द्र में भी हैं। ग़ज़ल पर आलोचना की जितनी किताबें आ रही हैं और पढ़ी जा रही हैं,ये इस बात का प्रमाण है कि हिन्दी ग़ज़ल हिन्दी कविता की महत्वपूर्ण विधा […]

नए लोग होंगे नई बात होगी, ढूँढेंगी निगाहें क्या बात होंगी। हम करेंगे इंतज़ार उस घड़ी का, तुमसे हमारी मुलाकात होगी। तुम आओ न आओ मर्जी तुम्हारी, तुम्हारा इंतज़ार सौगात होगी। हमें है तुमसे मुहब्बत ये जान लो, न ख़ुशी से मिलोगे खैरात होगी। खबर हमें भी हैं तुम्हारे दिल […]

अपना टिफिन तुम खुद ही खा लो, मम्मी मुझे समोसे ला दोl  रोज़ टिफिन में पूरी-भुजिया, आई तंग खाने से मुनियाl  कभी नहीं तुम बर्गर देती, कब रोटी से बढ़कर देतीl  बोतल का तुम पानी रख लो, देना है तो पेप्सी भर दोl  कभी न टॉफी तुम लेती हो, चाट […]

नहीं जैसे सितमगर सोचता है, कभी भी कुछ न पत्थर सोचता है। तुम्हें तकलीफ तो होती ही    होगी, मेरा एहसास बढ़कर सोचता है। ज़रा-सी फिक्र तो करनी पड़ेगी, थका-हारा भी मुड़कर सोचता है। तो फिर अंजाम भी होता है अच्छा,                        […]

इस तरह हम जो उजालों में नहीं आएंगे, हम तेरे चाहने वालों में नहीं आएंगेl   उनको कहने का नहीं देंगे कभी भी मौका, फिर कभी ऐसे सवालों  में नहीं आएंगेl  दर्द बस ये है मुझे भूल गए हैं वो भी, अब कभी उनके ख्यालों में नहीं आएंगेl  उनको हर […]

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तुम्हे देखा तो माना है मुहब्बत भी जरुरी है, तुम्हीं से है सुकूँ दिल को राहत भी जरुरी है। मुहब्बत आप भी करिए मुहब्बत भी जरूरी है, मगर इसके लिए देखो इजाजत भी जरूरी है। हमेशा तो नहीं करना शिकायत आप अब देखो, मगर सच में कभी तो ये शिकायत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।