स्वभाषा के महत्व को जब तक नहीं समझा जाएगा तब तक उसका विकास संभव नहीं है। इंग्लॅण्ड भी जब फ्रांसीसियों के शासन में था तब अंग रेजी केवल बोलने वाली भाषा थी।  अंगरेजी तब ही प्रतिष्ठापित हुई जब वह ज्ञान विज्ञानं की भाषा हुई। हिंदी विश्व में तीसरे नंबर पर […]

40 सदस्यीय, अभिभाषको का एक दल इंदौर से गुजरात भ्रमण पर गया । इंदौर से मालवा माटी की खुशबू और गिर में वनराज का सामीप्य खुशी को दोगुना कर रहा था। गुजरात के एक छोटे से कस्बे में वकीलों की बस गवाह दलीलों से दूर चाय की चुस्की लेने में […]

इन्दौर। सुप्रसिद्ध शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ. एस.एन.तिवारी की स्मृति में श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में इंदौर के पांच साहित्यकारों का सम्मान किया गया। यहाँ मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार प्रो.कमल दीक्षित ने लेखक विजयसिंह चौहान को साहित्य सेवा के लिए सम्मानित किया।  अनेक नामचीन साहित्यकारों के इस शहर में […]

गुजर गया एक और साल। पहले बहुत कुछ होता था एक साल में। एक साल कई साल में आता था। अब तो जैसे महीने महीने बदलता है साल। त्योहार एक के बाद एक दरवाजे के सामने से गुजर जाते हैं। गोल घूमते खिलौने की तरह। न वे रुकते हैं मेरे […]

विश्व के अधिकांश राष्ट्रों की कोई एक राष्ट्रभाषा है, भारत की नहीं। मजे की बात यह है कि भारत के अधिकांश लोगों को यह तथ्य पता नहीं है कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। जब हम लोगों से पूछते हैं कि भारत की राष्ट्रभाषा कौन सी है तो अच्छे […]

स्वर्णिम आभा बिखेरते हुए सूरज ने किया श्रृंगार रम्भाति गायो के झुंड में लौट आई शक्ति अपार धूल उडाती पगडंडी और पक्षी करते मनुहार लो आ गई गोधूलि बेला गीत गाओ हजार मंदिरो में बजती घंटी और चोखट पर है इंतजार लो आ गई गोधूलि बेला करो दिल से सत्कार। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।