(जल हरण घनाक्षरी) जीवन की अंतिम सांसें गिनते हुए, किसी रोगी को हर मर्ज दवाई लगती हो तुम.. मेरे ख्वाबों-ख्याल की रानी कैसे बताऊँ तुम्हें, मुझे तो प्रेम की परछाई लगती हो तुम। बसंत की बहार,सावन की फुहार-सी हो, मंद-मंद बहती पुरवाई लगती हो तुम… तुमको मैंने क्या सोचा,और तुम […]
