मैने की आईने से दोस्ती संवारता खुद को जाने क्यों लगता मुझे प्यार हो गया नयन कह जाते बिन बोले नींद जाने कौन उड़ा गया निहारते रहते सूनी राहों को शब्दों को गढ़ता बन शिल्पकार दिल के अंदर प्रेम के ढाई अक्षर सहंम सी जाती अंगुलियां हाथों की अंगुलियां बनी […]
drushti
ज्योति जैन का ‘यात्राओं का इंद्रधनुष ‘के यात्रावृतांत संग्रह में -कैलाश मानसरोवर ,लेह -लद्धाख ,सिक्किम,केरल,तारकली ,थाईलेंड ,झाबुआ की यात्राओं अनुभवों एवं वहाँ की विषेशताओं का सटीक वर्णन कर पाठकों के दिलों में यात्राओं के प्रति अनुराग भरा और स्वयं ने भी महसूस किया कि यात्राएँ थकाती नहीं बल्कि नई ऊर्जा […]