आज की नारी इतनी कमजोर  नही जो झुक जायेगी। करो चाहे पुरजोर जतन तुम, नही वो रुक पायेगी। दिल की सुंदरता कब भला, तेजाब से खत्म हो पायेगी। शक्ति रूप है नारी ,नही मोंम जो पिघल जायेगी। बंद करो तुम अब जिस्मो का व्यापार चलाना। नारी कोई वस्तु नही जो बाजार में बिक […]

सुनो तुम्हे गुलाब पसंद है ना और मुझे तुम पसंद हो। तुम्हारी खुशबू , तुम्हारा अहसास मुझे गुलाब से ज्यादा पसंद है। तुम्हे चॉकलेट पसंद है और मुझे तुम्हारी चॉकलेटी बातें। तुम्हारा प्यार चॉकलेट सा ज्यादा टेस्टी है। मुझे वो पसंद है। तुम्हे टेड्डी बहुत पसंद है ना और मुझे […]

सच सोचनीय विषय है,जब हिंदुस्तान में हिंदी का सम्मान नही तो और कही कैसे होगा? सर्वप्रथम हम सब को अपनी मातृ भाषा से प्रेम करना होगा। हर कोई अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है, जब शिक्षा ही योग्य नही मिलेंगी, तो संस्कार और हिंदी का प्रचार और […]

तेज रेत सी तपती हूँ मै, एक कतरा पानी का जो मिल जाये। ये अगन प्यासे दिल की जो बुझ जाये। हो तुम मेरी जलती हुयी काया के सागर। इस रेत से जलती हुए बदन को दो बूँद पिला जाना। है प्रणय निवेदन की  तुम एक बार तो मिलने आ […]

देखो बारिश हो रही,मेरा दिल खो रहा है। कोई कुछ तो मुझे समझाए,मुझे क्या हो रहा है।। तेरी आँखों में मेरा दिल खो गया है। मेरा चैन जा रहा है, मुझे प्यार हो रहा है।। कोई कुछ तो मुझे समझाये,मुझे क्या हो रहा है।। परी हो तुम या हो कोई […]

मेरी दुनियाँ ये चंद लाइने और चंद प्रकाशित कविता और कहानियां हैं। बड़ी शिद्दत और लगन से सजोया है, ये यादों का कारवां मैंने। जानती हूँ, कल कहाँ किसी के पास इतना समय होगा। जो पलट कर कोई मेरी कविता या कहानियां पढ़ेगा, फिर भी मैं कुछ चंद किताबें और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।