तुम बनो कान्हा मनभावन, मैं अधरों पे शोभित बाँसुरी। तुम लय ताल सखे, मैं राधिका गीत लय की। बरखा की छम-छम बूँदों-सा, छल-छल बहता हृदय सरल, प्रकृति के इस उपवन में खिलखिलाता पुष्प, सुरभित पवन…। कोयल की कुहू, भ्रमराें का गुंजन नाचे मयूर सतरंगी मन…। तुम बनो कान्हा मनभावन मैं […]

नई  सुबह आ रही विश्वास दीप जलेंगें। नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥ खेत की माटी बोल रही, ओ कर्मवीर उठ जाओ। प्राणों में हुंकार भरो, श्रम की फसल उगाओ। समुद्र में लहरें उठ रहीं कर्म दीप जलेंगे। नव उमंग जाग रही,नए गीत रचेंगे॥ जीत उसे हासिल होती, जो आशा-बल […]

आओ रे, कर्म की आँधियाँ चलाओ रे.. पत्थर तोड़ते,सड़क बनाते ऊँचे ऊँचे महल बनाते फिर भी रहते बेघर हम, आकाश के नीचे लेते दम। कर्म ही हमारा जीवन है, परिश्रम ही हमारा धन है।। बोझा ढोते,ठेला चलाते, फिर भी रूखा-सूखा खाते.. दर्द के आँसू पीते हैं हम, अभावों में जीते […]

क्यों अभी से खुद को यूँ संजीदा किया जाए, क्यूँ न फिर से अपने बचपन को जिया जाए.. चलो आज फिर एक गुड़िया का घर बनाएं, और सजाएँ उसे फिर नन्हें सपनों के साथ.. फिर से कराएं वो गुड़िया की शादी,  वो नकली घोड़े,वो नकली हाथी..  वो नकली दूल्हा,वो नकली […]

  तुमने कहा था,कि भूल जाना मुझे, वादा भी किया था मैंने अपने-आपसे कि,भूल जाऊँगी तुझे.. पर नहीं भुला पाई तुझे और तेरे प्यार कोl।   रोज इसी वादे के साथ सुलाती हूँ मैं दिल को, कि, नहीं याद करेगा वो कल तुझे पर जब भी खुलती है न मेरी […]

वह दिन जब हम आए थे, हाँ,खाली हाथ तनहा,अधूरे से……. मिला यहाँ अपनों का साथ। कोरे कागज़,खाली कैनवास से, थे भोले भाले.. रंग मिले इस दुनिया से कुछ श्वेत,कुछ काले। पर अब सीख गए हैं, छल-कपट,द्वेष-राग.. अस्तित्व बचाने हो रही अब दुनिया की दौड़ भाग। फिर जन्मदिवस तुम आए, जीवन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।