फिर से अपने बचपन को जिया जाए

0 0
Read Time2 Minute, 12 Second

asha bunkar

क्यों अभी से खुद को यूँ संजीदा किया जाए,
क्यूँ न फिर से अपने बचपन को जिया जाए..
चलो आज फिर एक गुड़िया का घर बनाएं,
और सजाएँ उसे फिर नन्हें सपनों के साथ..
फिर से कराएं वो गुड़िया की शादी,
 वो नकली घोड़े,वो नकली हाथी..
 वो नकली दूल्हा,वो नकली बाराती,
उन गुज़रे कीमती लम्हों को फिर से याद किया जाए
क्यों न आज फिर से बचपन को जिया जाएl
क्यों न बनाएं फिर कागज की कश्ती,
 और छोड़ें उसे ठहरे से पानी में..
माना दौड़ रही है ज़िन्दगी,
पर मोड़कर इसे गुजरी यादों का पीछा किया जाए,
क्यों न फिर से बचपन को जिया जाएl
क्यों न आज लेकर उमंग भरी मिटटी,
बनाएं खिलौने कुछ मासूम ख्वाहिशों के..
यूँ तो फ़िज़ूल है भागना ख्वाहिशों के पीछे पर,
क्यों न ज़िन्दगी को एक और मौका दिया जाए..
क्यों न फिर से अपने बचपन को जिया जाएl
वो बारिश में भीगना,
वो दौड़ना नंगे पैर रास्तों पे..
वो नहाना खुली सड़क पे,
वो महसूस करना बारिश की हर बूँद को..
माना बहुत बंदिशें हैं आज ज़िन्दगी में,
पर क्यों न कुछ पल के लिए खुद को आज़ाद किया जाए..
क्यों न अपने बचपन को जिया जाएl
बड़ी भीड़ है ज़िन्दगी में,
कुछ उम्मीदें,कुछ ख्वाहिशें और कुछ हसरतें..
सोचती हूँ आज ज़िन्दगी को कुछ खाली किया जाए,
तो आओ आज ही से अपने बचपन को जिया जाए।

                                                                             #आशा बुनकर

परिचय : आशा बुनकर का राजस्थान के जमनापुरी(जयपुर)में निवास हैl १९८३ में जन्मीं हैं और जयपुर से शिक्षा बीएड तथा स्नातकोत्तर(हिन्दी साहित्य) सहित  हिन्दी साहित्य में ही `नेट` उत्तीर्ण हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

असलियत

Fri May 12 , 2017
दुविधाओं से घिरा हुआ.. आंखों को मलता हुआ धीरे-धीरे जागता हुआ, खुद को भारतीय करार करता हूँ… अपने जीवन में एक मुद्दे पर दो राय रखता हूँ..l जब मैं आदमी हूँ तो अपने घर की, नारी को अबला एवं कल्पनाओं में सबला करार करता हूँ… पिता हूँ तो अपने पुत्र […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।