हाँ,माना हार  के बाद  ही  जीत   हैl आत्महत्या   करना   कौन-सी       रीत    हैll दो-चार     मुश्किलों     से    तुम     डर    गएl उनको   भी   याद   कर    जिनके  घर    गएll तनाव, पढ़ाई  का  दवाब, अवसाद, […]

इंसान हूँ मैं,इंसान ही बनना चाहता हूँ। कई आदर्श हैं इस जीवन के फिर भी नहीं चाहता भगवान बनना॥ इंसान हूँ मैं इंसान ही बनना चाहता हूँ। सब जन को है चाह देव बन पूजे जाएं। पर इंसानों की खामियां कैसे कोई छिपाए॥ लोगों की इन खामियों पर कुछ कहना […]

ये रिश्ते… पतवार और सफ़ीने के… बहुत मजबूत और… बहुत कमजोर भी हुआ करते हैं… मुझे तैरना नहीं आता… और भँवर अनंत है… विस्तृत आकाश में… मैं उड़ना नहीं चाहती… इसलिए कहती हूँ कि ज़िंदगी को… हमवार रहने दो… क्यूंकि मुझे तुमसे नहीं… तुम्हारी आवाज़ की नमी से डर लगता […]

आप मैं हम, तम दूर भगाएं दीप जलाएं। अज्ञान रूपी, अंधकार मिटाएं दीप जलाएं। न्याय के लिए, एक पग बढ़ाएं दीप जलाएं। हम भी खुश, रहे न वो भी दुखी कर जतन। झोपड़ी को भी, करें हम रोशन दीप जलाएं। करें रोशन, उस बस्ती को हम जहाँ है तम। ऐसा […]

ज़िन्दगी है चार दिन की,जरा मुस्कुराइए, ख्वाबों के दायरे से हकीकत में आइए। ख्वाब होते हैं सुहाने,पलकें जब तक बन्द हैं, खुल जो गईं हैं आंखें तो फिर जाग जाइए। आपके आसपास जो हैं आपके अपने हैं सब, घावों पर उनके भी तो कभी मरहम लगाइए। खुशनसीबी तो आपकी चौखट […]

हम तुमसे मिले या नहीं मिले, पर भावों से भूल बहुत की है कभी हँसी में की, कभी ख़ुशी में की या बात हमारी तुमको चुभी, हम कहते हैं कि सब भूलों को भूल जाओ…भूल जाओl हम जन्में हैं,जबसे समझो, त्रुटियों का एक पुलिन्दा हैं प्रभु ने राह बताई है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।