गुरू की वाणी से….राम बने महान, गुरू की आज्ञा से…आरूणि बने महानl   गुरू की बुद्धि से…कालिदास बने महान,  गुरू की भक्ति से….एकलव्य बने महानl   गुरू के परिश्रम से…यवक्रीत बने महान,  गुरू की संगति से….रत्नाकर बने महानl   गुरू की चौदह विद्या से…कौत्स बने महान,  गुरू के अनोखे मंत्र से…रामानुज बने महानl  […]

शैक्षणिक सत्र अक्टूबर से प्रारंभ होने के कारण भारतीय दूतावास के सौजन्य से इंडोलॉजी विभाग द्वारा हिंदी दिवस कार्यक्रम १७ नवंबर को संपन्न हुआ। शुभारंभ माँ सरस्वती को संदीप कुमार(भारतीय राजदूत),प्रो.व्लाहोविच स्तेतिच(अधिष्ठाता मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान),डॉ. इवान आंद्रियानिच(अध्यक्ष भारत विद्या विभाग)आदि के दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कु. मारिया षिमग ने […]

लात खाकर भी भूख मिटा देती है माँ, भूखे पेट रहकर भी दुआ देती  है माँ। गांव में छोड़कर शहर आ गया अब, हिचकियां रोज याद दिला देती है माँ। चोट पर मुंह से निकलता है ये शब्द, मुश्किलों को दूर यूं भगा देती है माँ। अमीरी जाजम बिछाती है […]

किसी की गजल थी तो गुनगुनाई गई थी कभी, किसी की रुबाई थी तो साज पे गाई गई थी मैं। मयखानों में साकी बनी तो सहलाई गई थी मैं, रुख पे नकाब सजा था तो सराही गई थी मैं। बीच राह नल छोड़ गया खोई निशानी दुष्यंत भूल गया, कुदृष्टि […]

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हाँ साधारण-सी पानी हूं मैं, व्यर्थ पूजते हो तुम मुझको हाँ,अकारण-सी बहती हूं मैं, पवित्रधार क्यों कहते मुझको। न मैं माँ हूं…न कोई देवी, फिर भी सबके कष्टों को सहती क्यों कहते तुम माँ हो मुझको, जब मेरी पीड़ा न तुमको दिखती। गंगाजल तो हिमकल जल है, पर मेरा जल […]

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आदमी मुखौटा है, या मुखौटे में आदमी ये पहेली अनसुलझी है। कौन असली होकर, भी नकली-सा है और कौन नकली होकर असली-सा है। कलयुग में ये फेर समझना मुश्किल है। कौन सच्चा, कौन झूठ है तराजू से तौलना कठिन है, क्योंकि झूठ सौ बार कहकर सच बन जाता, सच चिल्ला-चिल्लाकर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।