व्यथा

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nilam dr
किसी की गजल थी
तो गुनगुनाई गई थी कभी,
किसी की रुबाई थी तो
साज पे गाई गई थी मैं।
मयखानों में साकी बनी तो
सहलाई गई थी मैं,
रुख पे नकाब सजा था
तो सराही गई थी मैं।
बीच राह नल छोड़ गया
खोई निशानी दुष्यंत भूल गया,
कुदृष्टि इंद्र की थी
अहिल्या बना महर्षि चला गया।
लांछन धोबिन का था
सीता को वन भेज,
राम चला गया
मर्यादा की दी दुहाई,
उर्मिला को त्याग वन में
लखन गया।
था मोह सत्ता का तो
राधा को कान्हा छोड़ गया,
हीर बिलखती रह गई
रांझा मजबूर हो गया।
कहीं कमला कहीं रीता
कहीं सरिता कहीं नीता,
नाना नाम से
हर युग में यूंही नारी को छला गया।
मैं भी उनकी प्रतिमूरत बन
यूं ही एकांत में सिसक रही,
पीर की प्रतिछाया बन
छली गई ठगी सी बैठी हूं मैं।
अब न किसी की आँख का नूर हूं
नकिसी के दिल का सुकून हूं,
किसी की लांछना से
ठुकराई कोई हूर हूँ मैं॥
                                                                  #डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।

matruadmin

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।