मनमीत तुम हो अब गीत बने, विरही मन में संगीत बने। हर विटप शाख हर डाली पर, कूकती मधु रस मतवाली पर। हुए तरू पल्लव स्निग्ध नवल, है तुर्श महक लिए आम्र बौर। अल्हड़ मारूत चल फागुन का, कम्पित करता आँचल का ठौर। दूर तुमसे हुए कई मास हुए, हूँ […]

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हे ईश्वर मुझको यह वर दें, नियमित मैं विद्यालय आऊँ। संस्कारों से पोषित होकर, बस मानव अच्छा बन जाऊं। कहना मानूं सदा बड़ों का, छोटे जो हों प्यार लुटाऊं। समय का पालन बचत की आदत, सदा सत्य से नेह लगाऊँ। हे ईश्वर मुझको यह वर दें, नियमित मैं विद्यालय आऊँ। […]

मुझे मत मिटाओ, मैं तुम्हारी कोख की नन्हीं कली हूं। उत्थान को तुम देखती, करके खुद का ही पतन कैसे रहती थाती तुम्हारी, गर नानी करती यही जतन जो जीवन मिला है तुमको, वो भी किसी का दान था सोचो जरा तुम सोचकर, किसे मारने चली हूं। ठानी है मारने […]

मोहब्बत को होंठों से            पीने का सलीका सिखा। परेशां हैं लोग बहुत,तू मुझे           जीने का सलीका सिखा। मोहब्बत को…॥ हो न जाए सरेआम                  सड़कों पर नीलाम। जरा तहजीब से पेश आ   […]

मानव गया एक बार वन विहार को, ढूढंने मनोरंजन के कुछ आहार को वहीं मिला उसे एक ऐसा पक्षी, जो बोलने में था कुछ नकलचीl मानव बोलता था जैसा-जैसा, वह बोल सकता था कुछ वैसा देखकर मानव बड़ा चकित हुआ, फिर सोचा कि यह तो उचित हुआl मनोरंजन का अच्छा […]

विरद श्याम प्यारे निभाते नहीं क्यों ? पुकारें स्वजन किन्तु आते नहीं क्यों ?   बढ़ाते रहे  चीर  हो  द्रौपदी  की, यहाँ रोज़ ही नारियाँ लुट रही हैं। बिना लाज के मारते भ्रूण-कन्या, बिना बात गायें यहाँ कट रही हैं।   तुम्हें गाय-बछड़े हमेशा से प्यारे, उन्हें मौत से आ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।