घर के बाहर खड़ी कार आपका सम्‍मान बढ़ाती है। पुरानी होया नई,यह सम्‍मान का प्रतीक है। सरकारी कार हो तोसम्‍मान और बढ़ जाता है। सरकार में रहना और कार में बैठनासुकून की बात है। लोग बाहर से झांक कर देखते हैं,कौन कारमें है,कौन सरकार में है। कार और सरकार में बैठने के लिएजरूरी है आपके कपड़े अच्‍छे हों,उसमें बैठने का तमीज हो,येनहीं कि,अंदर बैठकर बाहर की तरफ थूक दिया। सरकारी खड़ी कार भी चलती है और सरकार भी चलती है। खड़ी कार और खड़ी सरकार दोनों ही निकम्‍मेपन का प्रतीकहै। सरकार रविवार को नहीं चलती,लेकिन खड़ी सरकारी काररविवार को भी चलती है। रविवार को चलने वाली सरकारीकार में जरूरी नहीं कि,सरकारी साहब ही हों। अक्सर,आप जब रविवार को बाहर निकलते हैं तो देखते हैंसरकार की कार सड़क पर है,पर उसमें बैठे होते हैं–दादा,दादी,बच्‍चे और उनकी सुन्‍दर (जैसी भी हो) मां। सरकारी कार केशीशे सफेद होते हैं,उसमें पर्दे लगे होते हैं,लेकिन वे हटा दिएजाते हैं। सरकार की यही पारदर्शिता अच्‍छी लगती है। वैसेसरकारी कार शाम को छह के बाद माल की पार्किंग,सब्‍जीमण्‍डी के किनारे, किसी बड़े शो–रूम के सामने इठलाई–सी खड़ीहोती है। उसमें कभी `मेम साहब` तो कभी उनके बच्‍चे फटीजीन्‍स पहने निकलते दिखाई देते हैं। हाथों में मोबाइल,हाथ मेंसोने का ब्रेसलेट,गले में सोने की चेन,लेकिन गाड़ी सरकारकी,पेट्रोल सरकार का,आदमी सरकार का…। जब पतिसरकारी है,तो गाड़ी भी सरकार की ही होनी चाहिए। रविवार को सरकार बंद और सरकारी गाड़ी काम पर…। साहबछुटटी पर,चालक नौकरी पर..। जब चालक अपने परिवार कोसरकारी गाड़ी में घुमाता है तो समाजवाद नजर आता है।अच्‍छा लगता है,सब मिलकर सरकारी सम्‍पत्ति को अपनीसम्‍पत्ति मानकर उपयोग कर रहे हैं। आओ सरकार कीसम्‍पत्ति को अपनी मानें,उसे जलाएं,तोड़ें या बरबादकरें,क्‍योंकि यह `सम्‍पत्ति आपकी अपनी`है। सरकारी गाड़ी चालक चलाता है,साहब नहीं। चालक क्‍याआदमी नहीं होता,उसके बाल–बच्‍चे नहीं होते,उसका समाजनहीं होता,उसके बच्‍चों का मन नहीं होता,उसकी पत्‍नी कीइच्‍छाएं नहीं होती। जब साहब की बीबी को वह कार्यालयीन समय के बाद घुमा सकता है,उनके काम कार्यालयीन समयके बाद कर सकता है,तो उसे भी अधिकार है कि वह अपनीबूढ़ी मां को `इंडिया गेट` सरकारी गाड़ी में घुमा सके। साहब केदादाजी की मैयत में साहब के पूरे परिवार को शहर से कोसोंदूर ले जा सकता है,तो क्‍या साहब को पत्‍थर दिल समझ लियाहै। साहब पत्‍थर दिल नहीं होते। वे भी जानते हैं,सरकार काऔर सरकारी गाड़ी का उपयोग कैसे करना चाहिए। साहबजानते हैं,कार और सरकार भ्रष्‍टाचार का प्रतीक है और इसमेंसबका बराबर का हिस्‍सा है। उसमें साहब से लेकर चपरासीतक का अनुपात है। सरकार चलाने के लिए बहुमत के साथ–साथ अनुपात भी होना चाहिए। कार साहब के घर के सामने या चालक के घर के सामने,दोनोंका सम्‍मान उसी अनुपात में होता है,जितना सरकार चलाने केलिए हिस्‍सा होता है। सब चाहते हैं,घर के सामने खड़ी कार। कार सरकारी हो,अपनीहो या घर पर आए रिश्‍तेदार की..कार के आते ही दरवाजे खुलजाते हैं,उत्‍सुकता बढ़ जाती है- `घर आया मेरा परदेसी,प्‍यास बुझे मेरी अंखियों की…।`                                                                  #सुनील जैन राही परिचय : सुनील […]

विपिन के वाट्सऐप समूह पर एक वीडियो आया था। सन्देश था-अवश्य देखें और दूसरों के साथ साझेदारी करें। विपिन ने देखा तो दंग रह गया। मन ही मन सोचने लगा कि,यह तो समाज की शांति भंग कर सकता है। वह भागकर पंचायत पहुँचा तो वहाँ उसी की चर्चा हो रही […]

बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है हमारे देश के सभी प्रांतों में पुलिस की। हमारे यहां पुलिस वालों को नेताओं ने अपने स्वार्थ साधने का साधन बना लिया है। मामला चाहे कोई भी हो,प्रशासन वही करता है जिसमें नेताजी का हित निहित हित हो। अन्यथा की स्थिति में पुलिस वाले को इन […]

मैंने कभी नही सुना कि,अमेरिका में  बोर्ड परीक्षा के परिणाम आ रहे हैं,या यूके में लड़कियों ने बाजी मार ली है या आस्ट्रेलिया में ९९.५ प्रतिशत आए हैं किसी छात्र के…। मई-जून के महीने में हिन्दुस्तान में मानसून के साथ-साथ हर घर में दस्तक देती है एक उत्तेजना,एक जिज्ञासा,एक भय,एक […]

  ऐसा क्यों हुआ कि कविता में पंक्तियों की पुनरावृत्ति का विधान प्रारम्भ हो गया ?आख़िर गद्य में पंक्तियों की पुनरावृत्ति का चलन नहीं रहा है,फिर पद्य में क्यों…?क्या गद्य में पंक्ति की पुनरावृत्ति के लिए अवकाश नहीं है ? गद्य का अनुशासन एक सीधी …रेखीय गति पर चला करता […]

भारत के वर्तमान  राष्ट्रपति  प्रणब  मुखर्जी  का कार्यकाल  २४ जुलाई  को समाप्त  हो रहा है। १४ वें राष्ट्रपति  के चुनाव  की प्रक्रिया आरंभ  हो चुकी है। एनडीए ने रामनाथ  कोविंद  को अपना उम्मीदवार  बनाकर दलितों  का  दिल जीतने और देश को एक संदेश  देने का प्रयास  किया है। इससे पूर्व […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।