पुलवामा की धरती पर, दुश्मन ने घिनौना कृत्य किया। भारत माँ के जाबांजों पर, पीठ पर खंज़र से वार किया। दबे पाँव घुस आए भेड़िए, हिन्दोस्तान की सीमा में। धोखे और छलावे से, मचा दी थी तबाही घर में। साहस ना था कायरों को, सीना तान कर लड़ने का। षड्यंत्र […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा