मैंने खुदा को देखा है…

1
0 0
Read Time2 Minute, 46 Second

nitish

मैंने खुदा को देखा है..
कभी रोटी बेलते हुए,
कभी रोटी सेंकते हुए,
कभी हल-बैल के साथ दौड़ते हुए।

मैंने खुदा को देखा है,
सिर पर थोड़ी-सी धूप लिए..
और माटी में अपनी खोई हुई,
तक़दीर को खोजते हुए।

मैंने खुदा को देखा है,
कभी प्यासे होंठ लिए..
आँखों से पानी खोजते हुए,
मैंने कल ही खुदा को देखा है।

थोड़ा-सा थके हुए,
कुछ कमर से झुके हुए..
अपने बच्चों के लिए
तालीम से रंगा हुआ
एक रास्ता बनाते हुए।

मैंने खुदा को देखा है,
मस्जिद से दूर..
पत्थर की शिलाओं पर,
कुरान की आयतों को तराशते हुए।

हाँ,मैंने कल ही खुदा को देखा है,
साहूकार से कर्ज़ लेकर..
अपनी लड़की के लिए
दहेज़ जुटाते हुए,
हाँ,मैंने खुदा को देखा है।

 #नीतीश मिश्र 

परिचय : १ मार्च १९८२ को बनारस में जन्में, प्रारंभिक शिक्षा ग्राम पहाड़ीपुर, जिला मउ( उत्तरप्रदेश ) से हासिल कर बी.ए. ( लखनउ विश्वविधयालय) और एम ए ( हिन्दी साहित्य में इलाहबाद विश्वविधयालय)किया | कविता के क्षेत्र में सामाजिक, राजनीतिक, व्यवस्था को विकल्प देती कविताए लिखने के लिए प्रसिद्ध है मिश्रा| अपने समय को विकल्प देने की और व्यवस्था से जूझने की ताक़त नीतीश मिश्र के शब्दों मे दिखाई देती है और उस आदम की बात करते है जिसको व्यवस्था भूल चुकी हैं | देश की राजधानी दिल्ली में रहकर भी मिश्र ने अपनी कविताओ को रंग दिया | विगत 5 वर्षो से इंदौर (मध्यप्रदेश ) में दैनिक अख़बार में रह कर पत्रकारिता कर रहे है | नीतीश मिश्रा के जीवन के आँगन का प्रथम केंद्र इलाहबाद है तो दूसरा केंद्र इंदौर | इंदौर की मिट्टी का मिश्रा अपने व्यक्तित्व में बार-बार अतिक्रमण करते हैं | जो संघर्ष हिन्दी जगत के मूर्धन्य कवि ‘मुक्तिबोध’ ने मालवा की धरती पर रहते हुए किया था ठीक उसी तरह का ताना-बाना मालवा ने नीतीश मिश्रा की आत्मा में उकेरा है |

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “मैंने खुदा को देखा है…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

होली गीत...

Wed Mar 1 , 2017
मन में बसंत लिए,प्रेम की तरंग लिए, रोम-रोम देह का,श्रृंगार गीत गा रहा। हिय में छुपा हुआ था,बेसुध मन मयूर, नृत्य करने तीव्रता से,अब मचल रहा। कोयल भी गाने लगी,बाग़ महकाने लगी, आम भी वृक्ष में आने को है,ललचा रहा। उड़ रही अब धूल,खिल गए टेसू फूल, रंगों का त्यौहार,समीप […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।