आपकी नज़र

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girish joshi
तुम जाते जाते चाहत की गर सभी निशानी ले जाते
मन से स्मृतियाँ मिटा सभी आँखों का पानी ले जाते
मन मुँडेरों पर क्यूँ अब तक यादों के दीप जलाये हो
अपने लम्हों की अपने संग हर एक कहानी ले जाते ।
कब माँगे महल दुमहले थे कब माँगी बोलो जागीरी
इस मन की ये अभिलाषा थी दिल की रजधानी ले जाते ।
है कसक तुम्हारी उल्फत की बढ़ जाती और दबाने से
जिस तरह छीना चैंन सुकूं ये टीस पुरानी ले जाते ।
सन्नाटे प्रेम की गलियों में हैं ख़ाली दिल के गाँव यहाँ
बेवस मन के चौबारे से छाई बीरानी ले जाते ।
तुम बिन सजना और सँवरना हर माने में बेमानी है
जब बंध नहीं सम्बंधों के बेकार जवानी ले जाते
हम बुत के मानी ज़िंदा हैं बस आवाजाही साँसों की
किरचों से पहले ख़्वाबों के एहसास रूहानी ले जाते ।
उन बाहों के गठबन्धन सी जब लरजी प्रीत कहीं कोई
घिर आये मंज़र माँजी के ये शाम सुहानी ले जाते ।
तेरे चाहत के तोहफ़े बस ग़म की एक कहानी हैं
जो तुमने कभी दिये”जोशी”वो राजा रानी ले जाते ।
#गिरीश जोशी
भरतपुर (राजस्थान) 

matruadmin

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