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जहां नेमी प्रभु पशुओं की पीर देख वैराग्य पथ चुन लेते हैं
जहां राम वन में भी रहकर शाकाहारी रहते है
जहां वाईवल गीता पुराण सब हिंसा के खिलाफ है
फिर क्यो करते मांसाहार तुम पशुओं की पीड़ा पर दया नहीं
क्या बस चोला पहना है धर्म का धर्म का कोई ज्ञान नहीं
मानव में करुणा दया नहीं क्या मानवता का नाश हुआ
क्या बस इन्सा बचा धरती पर इंसानियत का विनाश हुआ
कोई घटना में व्यक्ति जब मरते मरते बच जाता वह तो अपने ईश्वर की करुणानिधि को गाता है
पशुओ पर हो रही क्रुरघटना रोककर पशुओं के तुम भगवान बनो
मांसाहार को छोड़ो और सब जीवों पर करुणा दान करो
नाम-अंकित जैन
साहित्यिक उपनाम-विरागांकित
जन्म स्थान -पथरिया
वर्तमान पता- पथरिया जिला दमोह
राज्य-मध्यप्रदेश
शहर-पथरिया
शिक्षा- बी. ए.(अध्ययनरत)
विधा -गीत/कविता/लेख
अन्य उपलब्धियाँ- संगीत में गाना और बजाना दोनों में ही समाज के चहेता
लेखन का उद्देश्य- मात्र भाषा हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास करना
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