“मेरे आशना”

0 0
Read Time1 Minute, 45 Second

gagan padampuri
इस दिल ने कितनो को मारा था
किसी एक पे ये भी मरा था,
जो हाल मैंने मेरे पर
कुछ मरने वालो का किया,
उसने भी मेरा वही हाल बना रखा…
किस बात से मै दीवाना था
किस बात पर! वो मोहब्बत थी
किस लिए ये एहसान सा है
जो तुम हुए ही नही ‘मेरे आशना’…
बावफा तो इश्क़ सबमें होता
मै दुनिया सा नही हूँ,
शायद मै इश्क़ से पेश्तर सोचा नही,
गिला तो उन्हें हुआ होगा ना
जो दिल लगाया उनसे बिना पूछे,
और इज़हार भी ऐसे किया की
आप मुझसे प्यार करते हैं! हैं…
अब बेहाल हूँ तो इलज़ाम क्यूँ उसपर,
जरा ऐसा रहना भी सिख लूँ,
‘ये अब कभी कभार नही होता
ग़म का कभी दीदार नही होता’….
जो लाख गुणा अच्छा है तनहापन
मेरे हर पल से वो जुदा नही होता
फिर भी यार कहता है
मेरा जिक्र तुमसे जुड़ा नही होता
मैं तो काफ़िर सा ही रह गया
कहीं हद से बढ़कर वो खुदा
याँ कहो हर सांस
इबादत बनके रह गया…!!
    #मेहताब पदमपुरी

परिचय :

नाम- गगनदीप सिंह
साहित्यिक उपनाम- मेहताब पदमपुरी
राज्य- राजस्थान
शहर- पदमपुर
शिक्षा- एम.ए. प्रीवियस अध्ययनरत
कार्यक्षेत्र- मुनीम
विधा – ग़ज़ल, कविता व नज़्म आदि 
प्रकाशन- महकते लफ्ज़ (साँझा संग्रह)
सम्मान- युग सुरभि 
लेखन का उद्देश्य- दर्द को आसान और कम करना

Arpan Jain

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पापा तो पापा होते हैं...

Sat May 12 , 2018
ख़्वाब सजाते हैं आँखों के जो देखे सपने होते हैं रहते हैं उनकी पनाह में पापा तो पापा होते हैं। ख़्याब सजाते हैं आँखों के जो देखे सपने होते हैं। दिन तपते हैं रात में जलते लहू चूसकर हम पलते हैं करते हैं ज़िद पूरी हमारी गलती पर परदा करते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।