Read Time29 Second

करके जल्दी से तैयारी,
शाला पढ़नें जायेंगे ।
चित्र बनें हैं जहाँ मनोहर,
मन अपना बहलायेंगे ।।
पुस्तक-काँपी लेकर झटपट,
सीधे शाला जाना है ।
ध्यान लगाकर सच्चे मन से,
सबक हमें तो पढ़ना है ।।
कितना अच्छा मिलता भोजन,
देखो तो शाला जाकर ।
खेल-कूद भी तरह-तरह के,
देखो तो शाला जाकर ।।
# डॉ. प्रमोद सोनवानी “पुष्प”
Post Views:
706