
9 अप्रैल : पुण्यतिथि प्रसंगे
मालवा की धरती ने सदा से ही अपने धीर-वीर और गंभीर होने के साथ-साथ रत्नगर्भा होने का प्रमाण दिया है, क्षेत्र चाहे संगीत, कला, साहित्य, चित्रकारी, खेल, राजनीति, प्रशासकीय हो चाहे पत्रकारिता।
ऐसे ही एक लाल को मालवा की धरती ने जन्म देकर स्वयं को गौरवानुभूति से लबरेज़ किया होगा।
7 अगस्त को जन्मे राजेन्द्र माथुर साहब हिन्दी पत्रकारिता के ऐसे शिखर कलश रहे जिनसे आज भी भारतीय हिन्दी पत्रकारिता परिभाषित होती है।
जिस अख़बार के संपादकीय पन्ने को आज कम ही लोग पढ़ते हैं, उसी पन्ने को पढ़ने की चाह लोगों में ज़िन्दा हुई भी तो उसमें माथुर साहब का बड़ा योगदान रहा है।
और उस पन्ने की ताक़त का एहसास भी यदि सत्ता को करवाने वाले कोई शख़्स थे तो वो माथुर साहब ही थे।
पाठको को भगवान मानने और उसकी चाहना के अनुरूप अख़बार को सत्यता के साथ पाठको के करकमलों में सुखानुभूति और असल मानसिक खुराक के रूप में पहुँचानने का दायित्व निर्वहन करने वाले संपादक का नाम भी राजेन्द्र माथुर ही है।
संपादकीय संस्था क्या होती है, इस बात का एहसास यदि किसी ने करवाया तो वह राजेन्द्र माथुर रहे। हिन्दी पत्रकारिता को आपके अर्पण से सिंचित रखना आज पत्रकारों की महती ज़िम्मेदारी है।
इन्दौर की धरती का गौरव और पत्रकारिता की नर्सरी नईदुनिया की संपादकीय आसंदी के सुशोभित रत्न श्री माथुर साहब द्वारा नवभारत टाइम्स में भी सेवाएँ दी गईं, और उन्होंने देश को बताया कि संपादकीय क्या होती हैं?
ऐसे संपादक श्रेष्ठ आदरणीय रज्जू बाबू का आज पुण्यस्मरण दिवस है, नमन सहित श्रद्धांजलि।
#डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’
परिचय : डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’इन्दौर (म.प्र.) से खबर हलचल न्यूज के सम्पादक हैं, और पत्रकार होने के साथ-साथ शायर और स्तंभकार भी हैं। श्री जैन ने आंचलिक पत्रकारों पर ‘मेरे आंचलिक पत्रकार’ एवं साझा काव्य संग्रह ‘मातृभाषा एक युगमंच’ आदि पुस्तक भी लिखी है। अविचल ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा है। इन्होंने आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता का आधार आंचलिक पत्रकारिता को ही ज़्यादा लिखा है। यह मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बढ़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया है। बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (कम्प्यूटर साइंस) करने के बाद एमबीए और एम.जे.की डिग्री हासिल की एवं ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियों’ पर शोध किया है। कई पत्रकार संगठनों में राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं। पत्रकारों के लिए बनाया गया भारत का पहला सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपीडिया (www.IndianReporters.com) भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है।लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा देश में हिन्दी भाषा के प्रचार हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान, भाषा समन्वय आदि का संचालन कर रहे हैं।