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रावण कहता है एक बात मेरी सुन लो /
क्यों वर्षो से मुझे यू जलाये जा रहे हो /
फिर भी तुम मुझे जला नहीं प् रहे हो /
हर वर्ष जलाते जलाते थक जाओगे /
और एक दिन खुद ही जल जाओगे /१/
मैंने सीता को हरा, हरि के लिए /
राक्षक कुल की मुक्ति के लिए /
मैंने प्रभु दर्शन कराये राक्षक जाती को /
तुम तो मानव होकर भी नहीं कर पाए /२/
आज रावण से राम डरते है /
क्योकि आज लक्ष्मण ही सीता को हरते है /
आज घर घर में छुपे हुए है रावण /
आग कितने रावणो को तुम लगाओगे /३/
सीता को हरना मेरा तो एक बहाना था /
मुझको राम हाथो से मुक्ति पाना था /
में तो मरकर भी राम को पा गया /
तुम तो जीकर भी राम को न पा रहे हो /४/
दोस्तों वैसे तो रावण बहुत ही ज्ञानी और वीर युध्दा था / उसकी भक्ति में बहुत ही शक्ति थी जिसके कारण ही प्रभु से वरदान उसे मिलते जाते थे / क्या आज इस कलयुग में कोई व्यक्ति ऐसा है / जो अपने आप को राम मान्यता हो या उसका चरित्र राम जैसा हो ? रावण ने तो सीता को हरके भी जबरजस्ती ……/कुछ भी नहीं किया और आज के इस युग में तो क्या हो रहा है उसे बताने की जरूरत नहीं है /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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