भरोसा

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tara prajapat
भरोसा माध्यम है
मौन रिश्तों की
अभिव्यक्ति का,
आधार है भरोसा
मानव सम्बन्धों का।
जब जुड़ता है भरोसा तो,
रिश्तों को मिलते हैं
नए सुदृढ़ आयाम,
लाता है जीवन में
खुशियों का संसार,
महकती है
आशाओं की बगियाँ।
मगर जब  कभी गिरती है
भरोसे की दीवारें,
ढह जाता है
सपनों का महल।
टूटकर बिखर जाती है उम्मीदें
किसी बेवा की चूड़ियों की तरह।
सूख जाता है मन
पतझर में पत्तों की तरह,
छा जाता है उदासी का कोहरा
बरसता है आँखों से सावन।
मर जाती है संवेदना,
तड़पती है भावनाएं
बहुत दर्द होता है
जब टूटता है भरोसा।
किसी क़ीमत पर
कभी किसी का ‘प्रीत’
भरोसा मत तोड़ना।
              #तारा प्रजापत ‘प्रीत’
परिचय: तारा प्रजापत ‘प्रीत’ का घर परम्पराओं के खास धनी राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ामें है। आपकी जन्मतिथि-१ जून १९५७ और जन्म-स्थान भी जोधपुर(राज.) ही है। बी.ए. शिक्षित तारा प्रजापत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। लेखन का उद्देश्य अभी तक तो शौक ही है।

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