तिरंगा

0 0
Read Time2 Minute, 40 Second

vijaykant
लहरा लो तुम आज तिरंगा,
बहे  मुक्त ज्यों पावन गंगा।

माँ ने पूत बहनों ने भाई,
वधूओं ने  सिन्दूर चढ़ाई।

मिला तब  राष्ट्र प्रतीक यह प्यारा
पुण्य पर्व है आज हमारा…।

शत्रु ना बुरा नजर कर पाए,
चाहे  महाभारत  हो जाए l
सवा अरब हम रक्षक इसके,
रंग ना तनिक धूमिल हो पाएll

हो सबल देश यह सबकी आशा,
भिन्न भले हैं विचार और भाषाl

भारत जन का अभिमान तिरंगा,
है राष्ट्र धर्म सम्मान तिरंगाl
शौर्य शान्ति और हरीतिमा का,
कहता हिन्दुस्तान  तिरंगाll

केसरिया में शौर्य की लाली,
हरित धरा की है हरियालीl
श्वेत शान्ति-सुधा-सा निर्मल,
चक्र है धर्म की धुरी निरालीll

भारत सदा शान्ति का पोषक,
वसुधैवकुटुम्कम का उद्घोषकl
यवन पुर्तगीज ब्रिटिश युनानी,
सबने है इस बात को मानीl

है सहनशील भारत सतरंगा,
लहरा लो फिर आज तिरंगाl
बहे मुक्त ज्यों पावन गंगा..ll

          #विजयकान्त द्विवेदी 
परिचय : विजयकान्त द्विवेदी की जन्मतिथि ३१ मई १९५५ और जन्मस्थली बापू की कर्मभूमि चम्पारण (बिहार) है। मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार के विजयकान्त जी की प्रारंभिक शिक्षा रामनगर(पश्चिम चम्पारण) में हुई है। तत्पश्चात स्नातक (बीए)बिहार विश्वविद्यालय से और हिन्दी साहित्य में एमए राजस्थान विवि से सेवा के दौरान ही किया। भारतीय वायुसेना से (एसएनसीओ) सेवानिवृत्ति के बाद नई  मुम्बई में आपका स्थाई निवास है। किशोरावस्था से ही कविता रचना में अभिरुचि रही है। चम्पारण में तथा महाविद्यालयीन पत्रिका सहित अन्य पत्रिका में तब से ही रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं। काव्य संग्रह  ‘नए-पुराने राग’ दिल्ली से १९८४ में प्रकाशित हुआ है। राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति के प्रति विशेष लगाव और संप्रति से स्वतंत्र लेखन है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दोस्ती

Mon Jan 29 , 2018
एक प्यारा-सा एहसास है दोस्ती, हर पल में हमारे साथ है दोस्तीl मन का अटूट विश्वास है दोस्ती, इसलिए तो कुछ खास है दोस्तीl बचपन की यादों को, दिल से न जुदा करता वोl जब हमारी याद आए, मिलने की दुआ करता वोl दुआ करते हैं हम भी सिर झुकाए, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।