लिखता मैं किसान के लिए,
लिखता मैं इंसान के लिएl
नहीं लिखता धनवान के लिए,
नहीं लिखता मैं भगवान के लिएl
लिखता खेत-खलियाँ के लिए,
लिखता मैं किसान के लिएl
नहीं लिखता उद्योगों के लिए,
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिएl
लिखता हो सड़कों के लिए,
लिखता मैं इंसान के लिएl
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई,
नहीं उम्मीद इसकी मुझेl
खेत-खलियाँ में बीज ये बो दे,
सड़क का एक गड्डा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिएl
लिखता हो किसान के लिए,
लिखता मैं इंसान के लिएl
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े,
पर जगत का एक पथिक पढ़ेl
फिर लाए क्रांति समाज के लिए,
इसलिए लिखता मैं इंसान के लिएl
पिछड़े भारत से ज़्यादा,
भूखे भारत से डरता होl
फिर हरित क्रांति पर लिखता हो,
फिर किसान पर लिखता होl
क्योंकि,
लिखता मैं किसान के लिएl
लिखता मैं इंसान के लिएll
#दीपक शर्मा
परिचय: दीपक शर्मा की जन्मतिथि-२७ अप्रैल १९९१ है। आपका स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है,जबकि वर्तमान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहते हैं बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) तक शिक्षित श्री शर्मा फिलहाल एम.ए. में अध्ययनरत(हिंदी)हैं। आप कविता,लघुकथा,आलेख सहित समीक्षा भी लिखते हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक जुड़े हुए हैं।आपकी लेखनी का उद्देश्य- देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।