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सपनों की गठरी बांध,
तारों की चुनर समेट
रजनी ने चार याम का,
सफर तय कर लिया।
भोर के द्वार दस्तक दी,
आहट सुन द्वार पर
प्राची की खिड़की से,
यामिनी की धुंधली परछाई देख।
हल्का-सा उजाला उसके,
आँचल में बाँध
दिन के चार याम के,
सफर की तैयारी कर ली।
पूरब दिशा से स्वर्णिम,
रश्मिरथी पर सवार हो
पंछियों के स्वस्ति पाठ संग
व्योम पथ पर,
धीरे-धीरे बढ़ने लगा।
चहुँ दिशाएँ स्वप्न से जाग,
कर्म पथ पर बढ़ने लगीं
सड़कें दौड़ने लगीं,
पटरियाँ तो रात से ही
सरपट भागती रहीं।
गली-कूचे गाँव-शहर,
सब गतिशील हो गए
अँधेरों ने उजालों के लिए,
हर कोना खाली कर दिया॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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Mon Jan 22 , 2018
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