मेरी राय में धर्म एक जीवन दृष्टि है। सभी प्राणियों से श्रेष्ठतर संवेदनशील मानव की। अपने सर्वोत्तम की खोज उसे पाने का प्रयत्न एवं आत्म साक्षात्कार के रूप में उस परम शक्ति की अनुभूति यही है धर्म का ध्येय। मानव मन की विभिन्न रुचियों के अनुसार कई मत-मतान्तर प्रचलित है। विभिन्न नदियों का मार्ग अलग है,गंतव्य एक ही अगाध समुद्र।
हाथी के विभिन्न अंगों का आकार दृष्टिबाधितों द्वारा अलग- अलग बताए जाने पर भी सत्य स्वरूप हाथी एक ही है।
मानवता के आधार गुणों का मानव में प्रतिस्थापन करना धर्म है। समाज में मानवीय सम्बन्धों का संतुलित सुव्यवस्थित संचालन धर्म है। सभी धर्मों की शिक्षाएँ प्रायः नैतिक मूल्यों का प्रतिपादन करती है। सच्चे धार्मिक के लिए यह विश्व परिवार स्वरूप है। हमारे सनातन धर्म का यही सिद्धांत है। विश्व कल्याण की कामना ही धार्मिक की सच्ची मनोकामना है।
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।