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गुरू की महिमा अजीब,
अजीब उनकी उपमा रही।
घर की चिन्ताएं सब छोड़,
बस छात्रों की चिंता करी ।
अंधकार हियँ से दूर कर,
ज्ञान की ज्वाला तेज की।
हर मन में संशय दूर कर,
विश्वास रूपी नीव रखी।
ज्ञान का पुंज सहनशीलता,
मस्तक पर तेज की ज्वाला।
परम् पूज्य स्नेह की मर्मता,
गुरू को करो आराध्य हमेशा।
#विपिन कुमार मौर्या
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