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हमारी ही तरह तुम भी मरोगे,
चिता की आग में तुम भी जलोगे।
किसी के वास्ते कांटे न बोओ,
इसी चकरोड पर तुम भी चलोगे।
उसी दिन से तुम्हारी कद्र होगी,
तुम अपनी बात जिस दिन कह सकोगे।
जमाने में दया पाने के डर से,
किसी के पांव तुम कब तक छुओगे।
इरादे लाख हों लेकिन गगन में,
बिना आधार के कब तक उड़ोगे।
बहुत कुछ याद आएगा तुम्हें भी,
मौत की सेज पर जिस दिन पड़ोगे।
अदालत में खड़ा होना पड़ेगा,
मुकदमा बैठकर कैसे लड़ोगे॥
#डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
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