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अहंकार का मूल मिटाकर,
भाईचारा अपनाएँ।
‘तू-तू, मैं-मैं’ में क्या रखा,
समझें,सबको समझाएँ॥
ईश्वर ने कुछ सोच-समझकर
ही परिवार बनाया है-
रिश्तों की मजबूती में,
कुछ वो आएँ,कुछ हम आएँ॥
#अवधेश कुमार ‘अवध’
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