निगरानी तंत्र को मजबूत करने की जरूरत

0 0
Read Time3 Minute, 32 Second

एक तो महामारी और उपर से निगरानी तंत्र की गैर जिम्मेदाराना रवैया सिस्टम पर ही सवालिया निशान छोड़ रहा है।यह बात मैं नही यह आंकड़े कह रहे हैं।चारो तरफ हाहाकार है ऐसे में बडी मात्रा में टीका का बर्बाद होना सवालिया निशान खड़ा करता है।अब तक देश में लगभग 44-45 लाख  से अधिक टीका की खुराकें बरबाद हो चुकी है।वो भी उस समय जब देश के अधिकांश हिस्से आज महामारी से त्रस्त हैं। देश की स्वास्थ्य सेवा की बदइंतजामी का यह जीता जागता उदाहरण है । इसमें ऐसे राज्य सबसे उपर है जहां यह बीमारी जोरों पर है बिहार, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू, हरियाणा, महाराष्ट्र,गुजरात और राजस्थान । भारत दुनिया में आबादी के लिहाज से दूसरे स्थान पर है, ऐसे में किसी तरह की दवा की बर्बादी आबादी पर भारी पड़ सकता है ।यह बात स्वास्थ्य कर्मियों एवं वितरण प्रणाली को समझना होगा।आज भारत में प्रत्येक दिन  लगभग 2000 लोग दम तोड़ रहे है और 2 लाख प्रतिदिन नये संक्रमित मिल रहे हैं। श्मशान में लंबी कतारें लग रही है और स्वास्थ्य विभाग की बदइंतजामी से दवा बर्बाद हो रहे है आखिर जब प्रोटोकाल तय किया गया तो उसका अनुपालन क्यों नही हुआ ? 
राज्य और केन्द्र के बीच सम्बन्ध अच्छे न होना एक अलग और संघीय ढांचे का हिस्सा हो सकता है लेकिन कुछ मसले महामारी के वक्त यह बद इंतजामी उन सरकारो पर सवालिया निशान जरूर छोड गये हैं जो लाशों पर अपनी राजनीति की रोटी सेक रहे हैं।
आज अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने 15-20 प्रतिशत लोगों को टीकाकरण कर चुका है जबकि भारत अभी तक 1 प्रतिशत के दायरे में सिमटकर अपनी टीका की बर्बादी गाथा लिख रहा है।
हम ऐसी जगह आ पहुँचे है जहां कोताही की तनिक भी गुंजाइश नहीं है हमारी मृत्युदर बढ़ रही चारो ओर हाहाकार है, ऐसे में तमाम राज्यों के स्वास्थ्य सेवाएं और निगरानी तंत्र को वेहद मुस्तैदी से काम करना ही होगा क्योंकि यह मानवता की पुकार है ।इस समय वेहद सर्तकता से जीवन बचाने के लिए सामने आए चुनौतीयों से लड़ना होगा।
जीवन रक्षक दवाओं एम्बुलेंस सेवाओं और जरूरी खाद्य सामग्री का सुचारू रूप से उपलब्धता बढ़ानी होगी ।लोकतंत्र में विश्वास रखकर जात पात से परे हटकर मानवता के लिए  सभी आगे आएं और जीवन की रक्षा करें ऐसे संकल्प बनाने होंगे।डरना नही,हमें तो लड़ना है, एक तंत्र से, दूजा कोरोना से, यही विवशता है, और समय की मांग भी?
                                          आशुतोष                                        पटना बिहार

matruadmin

Next Post

श्रीराम जी का बुलावा

Wed Apr 21 , 2021
थाल पूजा का लेकर चले आइये। राम का मंदिर यहाँ पर बना। आरती के दियो से करो आरती। और पावन सा कर लो ह्रदय अपना। थाल पूजा का लेकर चले आइये।। मन में उमड़ रही है ज्योत धर्म की। उसको यूही दबाने से क्या फायदा। राम के बुलावे पर भी […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।