लक्ष्य पर कायम रहकर पाएं सफलता

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जीवन पथ पर प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन कई छोटे-बड़े कार्यों को पूरा करना होता है। कई कार्य साधारण होते हैं तो कई आपके जीवन को नई दिशा देते हैं और आपके कर्मठ,प्रतिभा सम्पन्न एवं यशस्वी होने की गवाही देते हैं। प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में सफलता पाना चाहता है अथवा सफल कहलवाना पसंद करता है। बहुत से व्यक्तित्व ऐसे भी मिलेंगे,जो न केवल सफल होते हैं बल्कि दूसरों के लिए मिसाल भी बनते हैं। सफलता पाने के लिए ज़रूरी है कि,हम न केवल सफल लोगों के चरित्र और उनकी कार्यप्रणाली का अध्ययन कर अनुसरण करें,बल्कि ऐसे विचारों को अपने आचरण में ढालें,जो हमें भी बदलाव हेतु प्रेरित करें।
यह सही है कि,हम सफलता की तलाश नहीं कर सकते हैं और न ही यह तैयार,बनी- बनाई हमें प्राप्त हो सकती है,लेकिन हम इसे महसूस कर सकते हैं,अपने आसपास देख-समझ ज़रूर सकते हैं। सफलता पाने के लिए ज़रूरी है कि,हम अपने अंदर से हारने के डर को निकाल बाहर करें और हमेशा जीत के प्रति आशावान बने रहें। सफलता हमेशा अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलकर ही मिलती है। इसके लिए ज़रूरी है कि,हम सुनें,सीखें,देखें-परखें और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने-आपको तैयार करें। समय का सदुपयोग करना सीखें,क्योंकि बीता वक्त कभी वापिस नहीं लौटता है। हमेशा अपने लक्ष्य पर नज़र गढ़ाए रखें,तथा उसे पाने के लिए कृतसंकल्पित रहें। आप अपनी ज्ञानसुधा को निरंतर अद्यतन बनाए रखें तथा स्वयं अभिप्रेरित रहकर नवीन विचारों,नवाचारों  तथा खोजों हेतु प्रयत्नशील बनें रहें। समय के साथ-साथ अपने-आपको बदलते रहें,तथा नवीन तौर तरीकों को अपनाकर सफलता पथ पर अग्रसरित रहें।
सफलता पाने के लिए आपका रवैया अथवा नज़रिया भी अहम भूमिका अदा करता है ,इसलिए सकारात्मक नजरिए के साथ-साथ उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आपके मन में अभिलाषा,उत्कंठा तथा जुनून का होना भी अत्यावश्यक है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि,प्रत्येक व्यक्ति को जीवन पथ पर अनेक कठिनाइयों,बाधाओं और मुश्किलों का सामना करना ही पड़ता है,लेकिन आपका धैर्य,कर्मठता और विवेक ही आपकी कामयाबी का सबब बनता है। किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्ति हेतु यह अत्यावश्यक है कि,आप निरंतर कुछ नया सीखने के प्रति अभिप्रेरित रहें। सीखने की कला से आपके अंदर आगे बढ़ने की शक्ति,नवीन ऊर्जा और उत्साह की भावना का संचार होता है और `मैं यह काम कर सकता हूँ` की भावना बलवती होती है।
जीत और हार भले ही दो विरोधाभासी शब्द हों,लेकिन जीत के प्रति आपकी ललक ही आपके भविष्य को तय करती है। लिहाजा,कुछ असफ़लताओं से घबराकर मैदान छोड़ने का निर्णय न लें,बल्कि अपने लक्ष्य पर डटे रहेंl समस्याओं से निपटें,क्योंकि शिखर पर पहुँचने का मार्ग आपको स्वयंमेव ही तय करना होता है। इसका अभिप्राय स्पष्ट है कि,मात्र आपकी अलग सोच,लक्ष्य पर पैनी नज़र और आपके अंदर प्रतिस्पर्धा की भावना ही आपको ऊँचे आसमान में पंख पसारकर उड़ने का बल प्रदान करती है। अपने-आपको मानसिक रूप से निरंतर सकारात्मक रूप से ऊर्जावान बनाए रखना भी ज़रूरी होता है,तभी आप अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाते हैं,और वह सब हासिल भी कर लेते हैं जिसे पाने की अभिलाषा आपने कभी दिल-दिमाग में पाली होती है। कभी भी अपने मन में निराशा का भाव न पालकर निरन्तर कर्त्तव्य कर्म करते रहें और अपनी योग्यताओं में विस्तार करके अपनी इच्छित मनोकामनाओं को पूरा करें।

#अनुज कुमार आचार्य 
परिचय : अनुज कुमार आचार्य की जन्मतिथि २५ जुलाई १९६४ और जन्मस्थान-बैजनाथ है। वर्तमान में आप हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की तहसील बैजनाथ के गाँव-नागण में रहते हैं। शहर-पपरोला से ताल्लुक रखने वाले श्री आचार्य की शिक्षा एम.ए.(हिन्दी )बी.एड. और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा है। बतौर कार्यक्षेत्र आप भूतपूर्व सैनिक हैं और स्वतंत्र लेखन-अध्यापन करते हैं। सामाजिक क्षेत्र की बात की जाए तो स्वच्छता-जागरुकता अभियान और युवाओं का मार्गदर्शन करते हैं। कई समाचार पत्रों में सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर नियमित लेखन में सक्रिय हैं। सम्मान के रूप में आपको थल सेनाध्यक्ष से प्रशंसा-पत्र और श्रेष्ठ लेखन हेतु प्रतिष्ठित हिमाचल केसरी अवार्ड हासिल हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-सामाजिक विकृतियों,भ्रष्टाचार तथा असमानता के विरुध्द जागरूकता पैदा करना है। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।