किसी और का स्वेटर बुनती है

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जाने कितना रोती होगी, जब गीत मेरे वो सुनती है..
मेरे सपने बुनने वाली, अब किसी और का स्वेटर बुनती है..
मेरी कांच की चूड़ी ठुकरा कर, उसने सोने का हार चुना..
मुझको धोखा देकर पगली ने, खुद धोखे का प्यार चुना..
उन्हीं फरेबी आंखों से, आंसू अब अपने चुनती है..
जाने कितना रोती होगी, जब गीत मेरे वो सुनती है..
मेरे सपने बुनने वाली, अब किसी और का स्वेटर बुनती है..
देह की चाह नहीं थी, हमने उनकी रूह से प्यार किया..
बिना छुए ही उनको पाया, मेरे इश्क ने ऐसा श्रृंगार किया..
सब कुछ खोकर पगली वो, याद मुझे अब करती है..
जाने कितना रोती होगी, जब गीत मेरे वो सुनती है..
मेरे सपने बुनने वाली, अब किसी और का स्वेटर बुनती है..
# सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड)

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