बचपन की यादें

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dashrathdas
गुजर गए जो दिन
वापस लौट के आ जाओ।
बहुत परेशानी है बड़े होने में,
मुझे फिर से बचपन में ले जाओ॥
मुझे याद आती है ,
दादी की कहानी की।
दादा की मेहरबानी की,
पापा के प्यार की
माँ के दुलार की॥
मुझे याद आती है,
कागज की कश्ती की,
दोस्तों के साथ मस्ती की।
फिर आपस की तकरार की,
गाल पर पड़ी गुरु की मार की॥
मुझे याद आती है।
खेले गए सभी खेल की,
बच्चों से बनी रेल की।
चुपके से जो खाई गई थी,
बड़ी-सी गुड़ की भेल की॥
मुझे याद आती है।
गाँव की चौपाल की,
जल से भरे हुए ताल की।
माँ के हाथ से बनी हुई,
बिन तड़के की दाल की॥
मुझे याद आती है।
बिना तनाव के उस जीवन की,
जीना तो वो जीना था।
आज तो बस जीवन काट रहे हैं।
सुबह उठकर रोज कमाने भाग रहे हैं॥
मेरे प्यारे बचपन आज,
फिर तुझको ताक रहे हैं॥
                                                            #दशरथदास बैरागी

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