काज संवारो हनुमान जी

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 ganesh madulkar
प्रभु जी तुम हो दुनिया के संकट मोचन,
मुझे संकट से उबारो हनुमानजी।
राम भक्त हो तुम,राम जी के काज संवारे,
आज मेरे काज को संवारो हनुमान जी।
मेरे जीवन की नैया बीच मझधार में है,
मेरी नाव को पार उतारो हनुमान जी।
कलयुग में बढ़ गया पाप बहुत है,
दुष्टों के वध हेतु पधारो हनुमान जी।

                                                                            #गणेश मादुलकर

परिचय: गणेश मादुलकर का साहित्यिक उपनाम-मुसाफ़िर है। इनकी जन्मतिथि -५ सितम्बर १९९७ तथा जन्म स्थान-गांव ग्राम बम्हनगावं(मध्यप्रदेश)है। शहर हरदा में बसे हुए गणेश मादुलकर अभी विद्यार्थी काल में हैं। यह किसी विशेष विधा की अपेक्षा सब लिखते हैं। आपके दो प्रकाशन आ चुके हैं,जिसमें एक साझा संग्रह है। इनके लेखन का उद्देश्य सामाजिक रूढ़िवादिता पर कटाक्ष प्रहार के साथ ही प्रकृति चित्रण,देश-काल, वातावरण एवं अन्य विषय पर भी लेखन जारी है।

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2 thoughts on “काज संवारो हनुमान जी

  1. बहुत शानदार कविता है | इसी तरह कविता को जिन्दा रखने मे आपका सहयोग जरूरी है | हम आपके उज्जवल भविष्य की कामनाए करते है | आपका मित्र मनोज |

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