Read Time1 Minute, 49 Second
हौंसलों में मेरी उड़ान अभी बाकी है,
अभी टूटा नहीं हूँ,जान अभी बाकी है।
रुठकर क्यों गया,आजा ये मेरा आखिर है,
तुझे मनाने का अरमान अभी बाकी है।
वहां तो बनने लगे शीशमहल अब सबके,
गांव में अपना एक मकान अभी बाकी है।
बेचने के लिए अब तो शहर में कुछ न बचा,
तू न कर फिक्र,ये नादान अभी बाकी है।
दर्द अब ख़त्म हुआ,चोंट मेरी ठीक हुई,
एक नए ज़ख़्म का अरमान अभी बाकी है।
तबाह करने को जब जी में हो,चले आना,
हुस्न का तेरे कदरदान अभी बाकी है।
कितनी आसानी से ये खत्म कहानी की है,
मेरे दिल पे तेेेरा एहसान अभी बाकी है।
जब कभी सोचेगा हमको,तो तू भी रो देगा,
हमारे चेहरे पे मुस्कान अभी बाकी है।
चुप रहूं कुछ न कहूँ,ये तो हो नहीं सकता,
हमारे मुंह मे ये जुबान अभी बाकी है।
ओढ़ाई चादर एक गरीब को,तो ऐसा लगा
मेरे अंदर भी इक इंसान अभी बाकी है॥
#आनंद कुमार पाठक
परिचय: आनंद कुमार पाठक का निवास शहर बरेली के शास्त्री नगर(इज़्ज़त नगर) में है। आपकी जन्मतिथि-४ फरवरी १९८८ तथा जन्म स्थान-बरेली(उत्तर प्रदेश)है। एम.बी.ए. सहित एम.ए.(अर्थशास्त्र) की शिक्षा ली है। नौकरी आपका कार्यक्षेत्र है। आपकॊ पढ़ाई में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक मिलना बड़ी उपलब्धि है। लेखन का उद्देश्य-साहित्य में विशेष रुचि होना है।
Post Views:
223
अतिसुन्दर,,,,,
अति उत्तम मेरे भाई
Awesome lines