शब्दों का नहीं होता कोई
आकार या प्रकार,
फिर भी शब्द चुभते हैं।
शब्दों का नहीं होता है
कोई वजन,
फिर भी शब्द चोट करते हैं।
शब्दों में नहीं होती है
ज्वलनशीलता,
फिर भी शब्द जलाते हैं।
शब्दों में नहीं होते हैं
दवा के गुण,
फिर भी शब्द मन के घाव भरते हैं।
शब्दों में नहीं होती है
कोई गर्माहट,
फिर भी,कठोर मन पिघला देते हैं।
शब्दों में नहीं होते हैं
ताकत के गुण,
फिर भी शब्द साहस देते हैं।
शब्द कर दें दुर्बल-शब्द
कर दें सबल,
क्योंकि,इनके पीछे छुपे होते हैं भाव।
अतः तौल-मोल के बोलिए,
शब्दों से न खेलिए।
#शिल्पा सोलंकी
परिचय : बतौर उप-अभियंता (ग्रामीण विकास विभाग) शिल्पा सोलंकी मध्यप्रदेश के झाबुआ में ही कार्यरत हैं। यह 2010 से सोशल मीडिया में अपनी कविताओं के ज़रिए सक्रिय उपस्थिति बनाए हुए हैं तथा अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी में भी लेखन करती हैं।