देश की आन होते हैं,देश की शान होते हैं,
गुणों की खान होते हैं,वीरता गान होते हैंl
सजाते भारती माँ को,हैं सैनिक खून-पसीने से,
बसे दिन-रात सीमा पर,त्याग वलिदान होते हैं।
कभी आँधी में चलते हैं, कभी तूफां में चलते हैं,
सभी मौसम में ढलते हैं, तोप गोलों से जलते हैं।
सदा शूरों के दम से,मुस्कराती ही रही दुनिया,
सभी मस्तक झुकाते हैं,जहाँ से भी निकलते हैं।
चुकाए जा नहीं सकते,इतने अहसान होते हैं,
बसे दिन रात……………..ll
पहाड़ों पर ये चढ़ते हैं,सहरों में भी बढ़ते हैं,
अंधेरों में जब लड़ते हैं,कहानी तब ये गढ़ते हैं।
भूख और प्यास से,व्याकुल नहीं होते ये रखवाले,
इतिहास स्वर्ण अक्षरों में,नगीनों से ये जड़ते हैं।
पूजा इनकी करो धरती,यही भगवान होते हैं,
बसे दिन-रात……………….ll
अजब कश्मीर जाते हैं,गजब के पत्थर खाते हैं,
लोग थप्पड़ लगाते हैं,सड़क पर मारे जाते हैं।
इनके हालात पर रोती रही भारत की माताएं,
भूल घर-द्वार वतन रक्षा,अमन सौगंधें खाते हैं।
गोलियां नहीं चलाने के,इनको फरमान होते हैं,
बसे दिन रात………………..ll
परिचय : श्रीमती सुधा कनौजे मध्यप्रदेश के दमोह में न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी (विवेकानंद नगर) में रहती हैंl श्रीमती कनौजे दमोह के जिला शिक्षा केन्द्र में एपीसी(जेण्डर) हैंl