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यह देख रहा है आंख फाड़ इसकी नीयत में खोट लगे,
सन बासठ वाली भूले याद उन यादों को भी चोट लगे।
जब हिन्दी चीनी भाई थे हमने सर्वस्व था सौंप दिया,
तू निकला क्रूर घमंडी तूने छुरा पीठ में घोंप दिया।
इस विस्तारवाद की नीति से न चीन कभी तू संभलेगा,
बूढ़ी सेना की टोली से कैसे तू जंग जीत लेगा।
अपने नेताओं को सलाह देते हुए..
हे चोटी के नेता हो सतर्क वरना चोटी बंट जाएगी,
तुम सोते रहना आंख बंद, हिम की चोटी कट जाएगी।
#नेत्रपाल राघव
परिचय : नेत्रपाल राघव सामाजिक दिक्कतों पर अधिक लिखते हैं। इनका निवास जहांगीरपुर मांट मथुरा वृन्दावन में है। वर्तमान में हिन्दी भाषा में स्नातक की पढ़ाई जारी है। किसान के बेटे नेत्रपाल वीर व करुण रस में कविता रचते हैं। लेखन के लिए वाराणसी से दो बार सम्मान मिला है। कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
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